Makar Sankranti 2025: सूर्य का मकर राशि में प्रवेश आज, 19 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानें पुण्य और महापुण्य काल का मुहूर्त और महत्व

Ankit
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नई दिल्लीः Makar Sankranti 2025 सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इस संक्रांति को ही मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व माना जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए दान का फल बाकी दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। ज्योतिष शास्त्रत्त् के अनुसार 19 वर्ष बाद इस बार मकर संक्रांति पर जो अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। मकर संक्रांति पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग है।

उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 यानी आज ही मनाई जाएगी। आज सुबह सूर्य 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय आज सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय आज सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

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क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति?

Makar Sankranti 2025 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

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इन चीजों का जरूर करें दान

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है। पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में ये नई फसल काटने का समय होता है। इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।

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