सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ने वैश्विक अनिश्चितता को लेकर चेताया

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( गुरदीप सिंह )


सिंगापुर, 15 अप्रैल (भाषा) सिंगापुर के वरिष्ठ मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने कहा है कि देश ने अतीत में कई संकटों का सामना किया है, लेकिन अमेरिका द्वारा थोपे गए नए शुल्क के कारण उत्पन्न मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता अभूतपूर्व है और यह लंबे समय तक बनी रहेगी।

उन्होंने कहा कि अब सहयोगात्मक और स्थिर वैश्विक वातावरण का दौर नहीं है।

ली ने ‘नेशनल ट्रेड्स यूनियन कांग्रेस’ (एनटीयूसी) के संवाद कार्यक्रम में कहा ‘कुछ लोग कहते हैं कि चिंता मत करो, हमने पहले भी संकट का सामना किया है। लेकिन इस बार मामला अलग है और हमें इसे गंभीरता से समझना होगा।’

‘स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने ली के हवाले से कहा, ‘हमें इसे अपने हिसाब से लेना चाहिए। लेकिन हमें चिंतित होने और यह समझने की ज़रूरत है कि क्या हो रहा है और इसका हमारे लिए क्या मतलब है, क्योंकि इस बार, कुछ महत्वपूर्ण है और अलग है।’

ली ने कहा ‘मुझे उम्मीद है कि सिंगापुर के लोग समझेंगे कि क्या हो रहा है, क्या दांव पर लगा है और हमें अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मिलकर क्या करना चाहिए।’

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंगापुर ने एशियाई वित्तीय संकट, सार्स (सांस की बीमारी) और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, लेकिन तब दुनिया में मुक्त व्यापार और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था जैसे कारक देश के पक्ष में थे।

ली ने कहा कि अमेरिका अब ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (सर्वाधिक तरजीही देश… एमएफएन) की नीति को छोड़कर ‘परस्पर शुल्क’ प्रणाली की ओर बढ़ रहा है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नौ अप्रैल को चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए शुल्क में 90 दिनों की राहत दी, लेकिन चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर 125 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से छोटे देशों को नुकसान होगा और बड़े देशों को भी व्यापार और निवेश में अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा।

ली ने कहा, ‘अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क व्यापार को बाधित करेंगे, लागत बढ़ाएंगे और विकास को धीमा करेंगे।’

इस बीच, सिंगापुर के वाणिज्य मंत्रालय ने वर्ष 2025 के लिए विकास दर के अनुमान को घटाकर शून्य से दो प्रतिशत कर दिया है। इसके जवाब में प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने आठ अप्रैल को निजी क्षेत्र से संवाद और रणनीति तैयार करने के लिए एक कार्यबल गठित करने की घोषणा की।

भाषा राखी मनीषा

मनीषा



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