लखनऊ, 14 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर संविधान के अमृत महोत्सव का उल्लेख करते कहा कि यह यात्रा कर्तव्यों और अधिकारों के संतुलन का एहसास कराती है।
यहां बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस में शामिल हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अधिकार तभी सुरक्षित रहेंगे, जब हम अपने कर्तव्यों को निभाएंगे। बाबा साहेब के संविधान ने शिक्षा और समग्र विकास पर जोर दिया, जो भारतीय परंपराओं के अनुरूप है।’’
उन्होंने उपनिषद के ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ (हर ओर से अच्छे विचार और ज्ञान आएं) के संदेश का जिक्र करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने भी इसी भावना से शिक्षा को बढ़ावा दिया।
योगी आदित्यनाथ ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहेब का कथन -‘आदि से अंत तक मेरी पहचान एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए’ उनके जीवन और संविधान निर्माण की प्रेरणा का आधार रहा। मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब का जीवन संघर्ष, शिक्षा और समानता का प्रतीक है, जो प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का बचपन अभाव और सामाजिक भेदभाव में बीता, लेकिन उन्होंने असाधारण परिश्रम से विदेश में उच्च शिक्षा हासिल की तथा संविधान के शिल्पी के रूप में भारत को लोकतंत्र की नींव दी।
योगी आदित्यनाथ ने भारत की प्राचीन विरासत पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत कभी विश्व गुरु था, लेकिन आत्मसम्मान की कमी और आंतरिक कलह के कारण परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले भारत पहचान और अविश्वास का शिकार था, लेकिन आज यह पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
भाषा राजेंद्र सिम्मी
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