गलत सर्जरी से मरीज की मौत के मामले में नौ साल से फरार फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार |

Ankit
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नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) दिल्ली पुलिस ने नौ साल से फरार उस महिला को गिरफ्तार कर लिया है, जो खुद को डॉक्टर बताती थी और जिस पर एक मरीज की गलत सर्जरी करने का आरोप है, जिसके चलते उसकी (मरीज की) मौत हो गई थी।


अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि संगम विहार की रहने वाली आरोपी (48) को ग्रेटर कैलाश-2 से पकड़ा गया, जहां वह एक वरिष्ठ नागरिक की देखभालकर्ता (केयरटेकर) के रूप में काम कर रही थी।

अपराध शाखा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, आरोपी महिला ने कथित तौर पर बिहार से बीएएमएस की फर्जी डिग्री हासिल की थी और 2008 में रनहोला के विकास नगर में एक क्लीनिक खोली थी।

बयान के अनुसार, 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बावजूद वह खुद को कथित तौर पर डॉक्टर बताते हुए क्लीनिक चलाती थी और मुख्य रूप से स्त्री एवं प्रसूति रोग का इलाज करती थी।

बयान में कहा गया है कि 2009 में रनहोला निवासी रमेश कुमार ने अपनी गर्भवती पत्नी को पेट दर्द की शिकायत के बाद आरोपी महिला की क्लीनिक में भर्ती कराया था। इसमें कहा गया है कि आरोपी ने महिला को कुछ दवाइयां दीं और फिर घर भेज दिया।

बयान के मुताबिक, जब महिला को दर्द से राहत नहीं मिली, तो उसे अगले दिन फिर क्लीनिक में भर्ती कराया गया, जहां आरोपी की सलाह पर उसकी सर्जरी की गई।

इसमें कहा गया है कि क्लीनिक से छुट्टी दिए जाने के बाद महिला की हालत और खराब हो गई, जिसके बाद उसे डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

बयान के अनुसार, जांच में पता चला कि आरोपी के पास कोई औपचारिक चिकित्सा डिग्री नहीं थी और उसने कथित तौर पर फर्जी प्रमाण-पत्र बनवाए थे। इसमें कहा गया है कि महिला को गलत सर्जरी के कारण मरीज की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई।

बयान में कहा गया है कि 2016 में अदालत में पेश होने में विफल रहने पर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया।

इसमें पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) आदित्य गौतम के हवाले से कहा गया है, “पूछताछ के दौरान आरोपी महिला ने कबूल किया कि उसने 2005-06 में उत्तम नगर में एक डॉक्टर की सहायक के रूप में काम करते हुए प्राथमिक उपचार करना सीख लिया था। महिला ने बताया कि बाद में उसने फर्जी डिग्री हासिल की और खुद की क्लीनिक खोल ली। उसने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए वह लगातार अपना ठिकाना बदलती रही।”

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश



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