मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने सभी विभागों को बहुपक्षीय, द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियों से बाह्य सहायता ऋण लेने की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री को एक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र के वित्त विभाग की तरफ से जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, बाह्य ऋणों को वित्तीय जरूरतें पूरा करने के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे राजकोषीय घाटे की सीमा के भीतर हों।
इस आदेश में कहा गया है कि बाह्य ऋण को लेकर एजेंसियों से बातचीत और ऋण समझौता राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी से ही किया जाना चाहिए।
सरकारी आदेश कहता है, ‘‘बाह्य सहायता ऋण जुटाते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम की सीमाओं के भीतर और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित शुद्ध उधारी सीमा की सीमाओं के भीतर रहेगा।’’
राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के मुताबिक, राज्य सरकार को राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत तक सीमित रखना होता है।
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य राजकोषीय घाटे को 2.7 प्रतिशत पर रखने की बात कही गई, जो पिछले वित्त वर्ष के 2.9 प्रतिशत से थोड़ा कम है।
सरकारी आदेश में कहा गया है कि बाहरी ऋणों को वित्तीय जरूरत पूरी करने के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके पहले महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (मित्रा) की सहायता से तैयार एक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जानी चाहिए और फिर अनुमोदन के बाद उस रिपोर्ट को केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए।
आदेश में कहा गया है कि डीईए की जांच समिति का अनुमोदन मिलने के बाद एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) केंद्र सरकार और विभिन्न बुनियादी ढांचे और सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण एजेंसियों के समक्ष रखी जाएगी।
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