नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) भूकंप प्रभावित म्यांमा में राहत और बचाव कार्य के लिए भारत द्वारा भेजी गई राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम 67 शवों को निकालने के बाद वापस लौट आई है।
म्यांमा में 28 मार्च को रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 3,600 से अधिक लोग मारे गए।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि एनडीआरएफ कर्मियों ने लगभग एक सप्ताह तक अभियान चलाया। यह अभियान मुख्यतः मांडले में चलाया गया। मांडले, राजधानी नेपीता के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है तथा भूकंप के केंद्र के सबसे निकट था।
बचाव कर्मी 29 मार्च को पड़ोसी देश में पहुंचे थे। म्यांमा के साथ भारत 1,643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एनडीआरएफ की 80 कर्मियों वाली टीम ने अपना काम पूरा कर लिया और छह अप्रैल को देश लौट आई। भारत के अन्य राहत दल जैसे ‘मोबाइल हॉस्पिटल’, सेना के डॉक्टर और चिकित्साकर्मी जिन्हें ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमा भेजा गया था, पीड़ितों और अन्य स्थानीय लोगों के इलाज के लिए वहां मौजूद हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने भारतीय टीम की प्रशंसा की क्योंकि उन्होंने अपने सप्ताह भर के अभियान के दौरान 67 शव निकाले। उन्होंने बताया कि चीनी बचावकर्मियों ने नौ शव निकाले जबकि रूसी बचावकर्मियों ने मलबे से एक शव निकाला।
एनडीआरएफ सहित सभी बचाव दल बहुत गर्म मौसम में काम कर रहे थे और उन्हें लोगों की जान बचाने के लिए कठिन कार्य का सामना करना पड़ा।
एनडीआरएफ ने मलबे के नीचे जीवित या मृत लोगों को खोजने के लिए भारी स्लैब कटर और हथौड़ों का इस्तेमाल किया। एनडीआरएफ की टीम को मांडले में ‘सेक्टर डी’ आपदा बचाव योजना के तहत 13 इमारतों में बचाव अभियान शुरू करने का काम सौंपा गया था।
एनडीआरएफ की टीम चार खोजी कुत्तों को भी साथ ले गई थी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की खबरों के अनुसार, इस भीषण भूकंप के कारण अब तक 3,600 लोगों की मौत हो चुकी है और मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है। सैन्य सरकार के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने सोमवार को बताया कि मृतकों की संख्या 3,600 तक पहुंच गई है, 5,017 घायल हुए हैं और 160 लापता हैं।
भाषा आशीष प्रशांत
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