नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसे क्षेत्र में काम कर रही कोई भी भारतीय कंपनी जहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रतिबंधित है… अपने पहले से मौजूद विदेशी शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी कर सकती है, बशर्ते इससे शेयरधारिता में कोई बदलाव न आए।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने कहा कि बोनस शेयर जारी करते समय लागू नियमों, कानूनों, विनियमों और दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
डीपीआईआईटी के स्पष्टीकरण (जिसे एफडीआई नीति में शामिल किया गया है) के अनुसार, ‘‘ एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए निषिद्ध क्षेत्र/गतिविधि में काम कर रहीं भारतीय कंपनी को अपने पहले से मौजूद अनिवासी शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करने की अनुमति है, बशर्ते कि बोनस शेयर जारी करने के बाद अनिवासी शेयरधारक के शेयरधारिता ‘पैटर्न’ में कोई बदलाव न हो।’’
इसमें कहा गया है कि यह स्पष्टीकरण एफडीआई के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों में काम कर रहीं भारतीय कंपनियों द्वारा मौजूदा विदेशी शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करने की अनुमति के संबंध में है।
देश में अधिकतर क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है, जबकि दूरसंचार, मीडिया, दवा और बीमा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध भी है।
सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत विदेशी निवेशक को संबंधित मंत्रालय या विभाग की पूर्व अनुमति लेनी होती है। वहीं स्वचालित मार्ग के तहत विदेशी निवेशक को निवेश करने के बाद केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सूचित करना होता है।
वर्तमान में लॉटरी, जुआ व सट्टा, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट कारोबार और तंबाकू से बने सिगार, सिगारिलो व सिगरेट के विनिर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में एफडीआई प्रतिबंधित है।
एफडीआई महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को अपने बुनियादी ढांचा क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आने वाले वर्षों में भारी निवेश की आवश्यकता होगी। स्वस्थ विदेशी प्रवाह भुगतान संतुलन और रुपये के मूल्य को बनाए रखने में भी मदद करता है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा