नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका, सरकार के अन्य अंगों के विपरीत, अद्वितीय है क्योंकि यह सीधे नागरिकों से जुड़ी हुई है और उन्हें सरकार और कानून के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज कराने का सुलभ रास्ता प्रदान करती है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा आयोजित ‘‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न’’ नामक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा पहलू जो मेरे दिमाग में आया, वह यह है कि न्यायपालिका को क्या विशिष्ट बनाता है। विधायकों को जनता द्वारा चुना जाता है। वे जनता के प्रतिनिधि हैं। वे मुट्ठी भर लोग हैं। कार्यपालिका, राजनीतिक कार्यपालिका संसदीय लोकतंत्र में होती है और उसकी, संसद या विधायिका के प्रति जवाबदेही होती है।’’
सीजेआई ने कहा, ‘‘न्यायपालिका को जो बात विशिष्ट बनाती है, वह है लोगों के साथ हमारा सीधा जुड़ाव… लोगों के लिए सबसे आसान पहुंच तीनों संस्थाओं में से किसी एक में न्यायपालिका तक है।’’
उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका ही है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है और स्पष्टीकरण मांग सकता है, यहां तक कि नागरिक सरकार के खिलाफ और कानून की संवैधानिक शक्तियों को चुनौती देते हुए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आप संवैधानिक अधिकारों, वैधानिक अधिकारों के प्रवर्तन की मांग कर सकते हैं, और किसी भी अदालत में जाना, वकील से संपर्क करना, व्यक्तिगत रूप से बहस करना बहुत आसान है। इसका मतलब है कि हम ही हैं जो सीधे नागरिकों के साथ जुड़ रहे हैं।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि उनके लिए न्यायपालिका का अभिप्राय केवल न्यायाधीश ही नहीं है, बल्कि इसमें बार भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज ही सोच रहा था कि जब हम न्यायपालिका के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहले जो बात लोगों के दिमाग में आती है, वह है न्यायाधीश। लेकिन न्यायपालिका का अभिप्राय न्यायाधीशों से नहीं है। जब हम न्यायपालिका की बात करते हैं, तो इसका अभिप्राय न्यायाधीशों के साथ-साथ बार से भी है। बार के बिना न्यायपालिका नहीं हो सकती।’’
प्रधान न्यायाधीश ने ई-जर्नल तथा नई वेबसाइट शुरू करने के लिए एससीएओआरए की सराहना की तथा भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने जैसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर का जश्न मनाने तथा बार में 50 वर्षों के योगदान के लिए अधिवक्ताओं को सम्मानित करने के लिए बार निकाय को बधाई दी।
इस कार्यक्रम को प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एससीएओआरए ने भी अपने विचार साझा किए।
भाषा धीरज सुरेश
सुरेश