उच्चतम न्यायालय के निर्णय से पीड़ित लड़की का परिवार खुश |

Ankit
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प्रयागराज, 26 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय से पीड़ित परिवार काफी खुश है। यह जानकारी पीड़ित परिवार की तरफ से उच्चतम न्यायालय में पैरवी कर रहीं अधिवक्ता रचना त्यागी ने दी।


उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय पर बुधवार को रोक लगा दी और उच्च न्यायालय के निर्णय को “स्तब्ध करने वाला और कानून की समझ से परे” करार दिया।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि एक लड़की का निजी अंग पकड़ना और उसकी पायजामी का नाड़ा खोलना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (दुष्कर्म) का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा अपराध धारा 354(बी) (किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

त्यागी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “पीड़ित लड़की की मां इस निर्णय से काफी खुश है, क्योंकि नवंबर, 2021 की घटना के बाद से उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो रही थी। जनवरी, 2022 में लड़की की मां ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156(3) के तहत जनपद अदालत में शिकायत की।”

उन्होंने बताया, ‘‘उस दिन से लेकर आज तक उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। पिछले साढ़े तीन साल में न तो निचली अदालत ने और न ही उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने का कोई निर्देश दिया। यह (दुष्कर्म) एक संज्ञेय अपराध है और इसमें प्राथमिकी दर्ज होनी ही चाहिए।”

त्यागी ने कहा, “जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस ने उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी। हमने उच्च न्यायालय में यह मुद्दा उठाया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई और निचली अदालत द्वारा आरोपियों के खिलाफ धारा 376 (दुष्कर्म) और पॉक्सो की धारा 18 के तहत जारी समन को उच्च न्यायालय ने हल्का कर दिया।”

उन्होंने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नवंबर, 2024 में इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था और 17 मार्च को निर्णय दिया। यह (निर्णय) पूरी तरह से अमानवीय है।

त्यागी ने बताया कि यह परिवार बेहद गरीब है और लड़की अपने तीन भाइयों में इकलौती बहन है।

इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम) की अदालत में एक आवेदन दाखिल कर आरोप लगाया गया था कि 10 नवंबर, 2021 को शाम करीब पांच बजे शिकायतकर्ता महिला अपनी 14-वर्षीय बेटी के साथ ननद के घर से लौट रही थी।

महिला के गांव के ही रहने वाले पवन, आकाश और अशोक रास्ते में उसे मिले और पूछा कि वह कहां से आ रही है। जब महिला ने बताया कि वह अपनी ननद के घर से लौट रही है, तो उन्होंने बेटी को मोटरसाइकिल से घर छोड़ने की बात कही। महिला ने बेटी को उनके साथ जाने दिया।

इन आरोपियों ने रास्ते में ही मोटरसाइकिल रोक दी और लड़की का निजी अंग पकड़ लिया और आकाश लड़की को खींचकर पुलिया के नीचे ले गया, जहां उसने लड़की की पायजामी का नाड़ा तोड़ दिया। लड़की चीखने लगी, इसके बाद चीख सुनकर दो व्यक्ति वहां पहुंच गए। आरोपियों ने दोनों व्यक्तियों को तमंचा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी और मौके से भाग गए।

इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पीड़ित लड़की की तरफ से पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता से संपर्क नहीं हो सका।

भाषा राजेंद्र सुरेश

सुरेश



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