जयपुर, 19 मार्च (भाषा) राजस्थान सरकार ने बुधवार को विधानसभा में राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक पेश किया, जिसमें सभी कोचिंग सेंटर का अनिवार्य पंजीकरण, कोचिंग सेंटर के नियमन के लिए प्राधिकरण का निर्माण और पंजीकरण नियमों के उल्लंघन पर पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम चंद बैरवा द्वारा पेश किये गये विधेयक को कोटा में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्याओं के मामलों को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कोटा को देश भर के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर का केंद्र माना जाता है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्य में कोई भी कोचिंग सेंटर वैध पंजीकरण के बिना स्थापित या संचालित नहीं किया जाएगा।
मंत्री ने विधेयक के उद्देश्य व कारण के बारे में सदन में बताया कि यह विधेयक कोचिंग संस्थानों के व्यावसायीकरण को नियंत्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्णायक कदम है कि संस्थान विद्यार्थियों के कल्याण और सफलता को प्राथमिकता देते हुए एक संरचना के भीतर क्रियाशील रहें।
उन्होंने कहा कि इन सेंटर को विनियमित करने के पीछे सरकार का उद्देश्य अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के आकांक्षी लोगों के लिए अधिक स्वस्थ और अधिक सहायक वातावरण सृजित करना है।
मंत्री ने कहा कि पिछले दो दशकों में राजस्थान में कोचिंग सेंटर का अनियंत्रित प्रसार देखा गया है और ये सेंटर हर वर्ष लाखों विद्यार्थियों को नीट, आईआईटी-जेईई, आईआईएम प्रवेश परीक्षा और ‘क्लैट’ जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की गारंटी का वादा कर लुभाते हुए प्रायः व्यापक रूप से अनियमित वातावरण में संचालित होते हैं।
उन्होंने कहा कि इनमें से कई संस्थानों द्वारा किये गये झूठे दावों और अत्यधिक दबाव वाले वातावरण के परिणामस्वरूप जब अभ्यर्थियों की उम्मीदों के अनुरूप परिणाम नहीं आते हैं तो उनमें व्यापक निराशा और हताशा उत्पन्न होती है।
मंत्री ने कहा कि दुखद रूप से इससे प्रायः तनाव का स्तर बहुत बढ़ जाता है और कई छात्र आत्महत्याएं भी करते हैं।
बैरवा ने कहा कि प्रस्तावित प्राधिकरण कोचिंग सेंटर का पंजीकरण सुनिश्चित करेगा तथा विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए नीतियों और प्रावधानों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा।
भाषा पृथ्वी कुंज जितेंद्र
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