प्रयागराज, 19 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘तथाकथित गायत्री देवी मंत्र की वास्तविकता’ नाम की पुस्तक की छपाई, प्रकाशन, वितरण और प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, संत ज्ञानेश्वर स्वामी सदानंद जी परमहंस द्वारा लिखित इस पुस्तक में तर्क दिया गया कि गायत्री माता का साकार रूप देवी गायत्री काल्पनिक है’।
इस पुस्तक में यह भी दावा किया गया कि तथाकथित गायत्री देवी की झूठी एवं काल्पनिक छवियां तैयार की जा रही हैं, जिससे धार्मिक प्रवृत्ति वाले लोग भ्रमित हो रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने सत्य सनातन धर्म धर्मात्मा कल्याण समिति द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक समान कारण के लिए इस याचिकाकर्ता की एक अन्य याचिका 2016 में खारिज की जा चुकी है इसलिए समान कारण के साथ जनहित याचिका पर दोबारा विचार नहीं किया जा सकता।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि निजी प्रतिवादियों (पुस्तक के प्रकाशक सहित) ने गायत्री मंत्र के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की हैं और यह पुस्तक एक रहस्य का उद्घाटन करती है, जिसमें भ्रम की वजह से लाखों महिलाएं, पुरुष, विद्वान, आचार्य और पंडित फंसे हुए हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि यह सूचना तथाकथित गायत्री देवी में गहरी आस्था रखने वाले पाठकों की भावनाओं को आहत कर सकती है।
भाषा राजेंद्र जितेंद्र
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