राज्यसभा में विपक्ष ने लगाया आरोप |

Ankit
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नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के बजट में कटौती की गयी है और सरकार पिछले साल आवंटित राशि को पूरी तरह खर्च करने में नाकाम रही।


स्वास्थ्य मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य रेणुका चौधरी ने कहा कि यह वास्तविकता है कि इस मंत्रालय के बजट में कटौती की गयी है। उन्होंने अफसोस जताया कि सरकार पिछले साल आवंटित राशि भी पूरी तरह खर्च नहीं कर सकी।

उन्होंने कहा कि एक ओर आबादी बढ़ रही है वहीं स्वास्थ्य के बजट में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में बच्चों में कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया की समस्या गंभीर है।

कांग्रेस सदस्य ने दावा किया कि टीबी बीमारी की जांच पद्धति अब भी काफी पुरानी है जबकि बीमारी का स्वरूप बदलता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उचित जांच नहीं होने से कई बार टीबी पकड़ में नहीं आता और डॉक्टर अन्य रोगों का इलाज करने लगते हैं।

उन्होंने कैंसर मरीजों के लिए हवाई एवं रेल टिकटों में छूट दिए जाने की भी मांग की।

माकपा सदस्य वी शिवदासान ने दावा किया कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति बदहाल है और यह वेंटिलेटर पर है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय का बजट पहले ही कम है, ऊपर से सरकार उस राशि को भी खर्च नहीं कर पा रही है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह मूर्तियों पर विशाल राशि खर्च कर सकती है लेकिन उसके पास स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पैसे नहीं हैं।

माकपा सदस्य ने कहा कि केरल में आशा कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा मानदेय मिलता है।

बसपा सदस्य रामजी ने मांग की कि विभिन्न मेडिकल जांच के शुल्क निर्धारित किए जाने चाहिए क्योंकि छोटे शहरों में जांच की अनाप-शनाप कीमत वसूली जाती है। उन्होंने गैर-सरकारी डॉक्टरों की फीस पर नियंत्रण के लिए एक नियामक निकाय बनाए जाने की भी मांग की।

भाजपा सदस्य सीमा द्विवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं जिनकी वजह से देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर करीब 780 हो गयी है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार एमबीबीएस सीटों की संख्या एक लाख से अधिक हो गयी है।

इसी पार्टी की ममता मोहंता ने कहा कि देश में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की गयी है। उन्होंने कहा कि आज लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों तक में उपचार के लिए इस योजना से मदद प्राप्त कर रहे हैं।

उन्होंने सरकार द्वारा सभी जिलों में कैंसर रोगियों के लिए घोषित ‘डे केयर सेंटर’ खोले जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि ओडिशा के पिछड़े जिलों में यह काम प्राथमिकता से किया जाना चाहिए।

मोहंता ने ओडिशा के मयूरभंज में एम्स खोले जाने की सरकार से मांग की।

भाजपा की सुमित्रा बाल्मीक ने कहा कि बीमारी का बोझ सबसे अधिक गरीबों को उठाना पड़ता है लेकिन इस सरकार ने उन समस्याओं को दूर करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। उन्होंने अपने परिवार में हुयी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पिता कैंसर के मरीज थे और उनके इलाज के लिए सात बीघा जमीन और जेवर बेचने पड़े थे।

भाजपा के ही अमरपाल मौर्य ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार का प्रयास रहा है कि देश का कोई भी नागरिक इलाज से वंचित नहीं रहे।

भाकपा सदस्य पी पी सुनीर ने कहा कि राजकीय अस्पतालों में डॉक्टर कम हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को केरल की स्वास्थ्य सुविधाओं का अध्ययन कर उसका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र केरल के साथ भेदभाव कर रहा है।

चर्चा में बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू, तेदेपा के मस्तान राव यादव वीडा, आईयूएमएल के हारिस बीरन आदि ने भी भाग लिया।

भाषा अविनाश माधव मनीषा

मनीषा

अविनाश



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