नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बुधवार को कहा कि भारत प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में आयात शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं जैसे प्रमुख व्यापार मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि इन वार्ताओं के परिणाम तेजी से हासिल किए जा सकें।
उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है, क्योंकि कभी-कभी इन समझौतों के लिए बातचीत पूरी होने में ‘‘काफी समय’’’ लग जाता है और इसके कारण व्यवसायों की रुचि खत्म हो जाती है।
बर्थवाल ने यहां सीआईआई के भारत-एलएसी (लैटिन अमेरिका व कैरेबियाई) व्यापार शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘…अनुभव यह रहा है कि कभी-कभी मुक्त व्यापार समझौतों में इतना अधिक समय लगता हैं कि लोगों की रुचि खत्म हो जाती है, व्यवसायों की रुचि खत्म हो जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए हम वाणिज्य विभाग में भी इनमें से कुछ मुद्दों की समीक्षा कर रहे हैं, साथ ही हम अपने भागीदारों से बात कर रहे हैं जो हमारे साथ एफटीए कर रहे हैं कि हम पहले मुख्य व्यापार मुद्दों पर क्यों नहीं विचार कर सकते हैं। भले ही यह शुरुआती या पहला चरण हो, लेकिन इन वार्ताओं से कुछ न कुछ नतीजा तो निकलना ही चाहिए। इसलिए हम यह दृष्टिकोण अपना रहे हैं कि हम पहले मुख्य व्यापार मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें।’’
सचिव ने कहा कि मुख्य व्यापार मुद्दे शुल्क, गैर-शुल्क बाधाएं, एसपीएस (सैनिटरी व फाइटो-सैनिटरी) बाधाएं और नियामक कारक हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और एलएसी क्षेत्र को इस दृष्टिकोण का पालन करने की आवश्यकता है।
बर्थवाल ने कहा, ‘‘ प्रमुख व्यापार मुद्दों पर विचार करें और उस दिशा में काम करना शुरू करें। मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ने का एक बेहतरीन तरीका होगा, जिससे हम कई चीजें हासिल कर पाएंगे और व्यवसाय यह देख पाएंगे कि परिणाम बहुत तेजी से हासिल हो रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस दृष्टिकोण में, हम पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों पर ध्यान देते हैं।’’
भारत..मर्कोसुर (अर्जेंटीना, ब्राजील, पैराग्वे तथा उरुग्वे), चिली और पेरू के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस बात पर भी विचार कर रहे हैं कि इस (एलएसी) क्षेत्र में आने वाली बाधाओं से कैसे निपटा जाए, चाहे वह गैर-शुल्क बाधाएं हों, शुल्क बाधाएं हों या नियमन हों…’’
बर्थवाल ने कहा कि आने वाले वर्षों में दोतरफा वाणिज्य को 50 अरब डॉलर से दोगुना करके 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है।
सचिव ने कहा कि दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं।
एलएसी क्षेत्र का आयात 1800 अरब अमेरिकी डॉलर है और वस्तुओं व सेवाओं का निर्यात करीब 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर है।
भाषा निहारिका माधव
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