ठाणे, मार्च 18 (भाषा) न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने 122 करोड़ रुपये के कथित गबन से प्रभावित बैंक की वित्तीय कठिनाइयों को समाप्त करने कर उसे पुन: खड़ा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से तत्काल उपायों की मांग की है।
इसमें संगठन ने कहा कि उसे संदेह है कि ‘‘इस संकट में अघोषित गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या अतिरिक्त धोखाधड़ी जैसी गहरी वित्तीय अनियमितताएं योगदान दे सकती हैं।’’
15 फरवरी को, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बैंक से 122 करोड़ रुपये का कथित रूप से घपला करने के लिए न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक और अकाउंट खंड के प्रमुख हितेश मेहता को गिरफ्तार किया था।
इससे दो दिन पहले, रिजर्व बैंक ने बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें इस बैंक के घटनाक्रम से उपजी पर्यवेक्षी चिंताओं और इसके जमाकर्ताओं के हित की रक्षा का हवाला देते हुए जमाकर्ताओं द्वारा धन की वापसी करना शामिल था। एक दिन बाद, इसने एक वर्ष के लिए सहकारी बैंक के बोर्ड को हटाकर इसके मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया।
कथित विसंगतियों की जांच तब शुरू हुई जब आंतरिक अंकेक्षण में मुंबई में प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं की तिजारियों में महत्वपूर्ण नकदी की कमी का पता चला।
रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा को प्रस्तुत मांगों के एक औपचारिक ज्ञापन में, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक डिपॉजिटर्स फाउंडेशन में प्रभावित व्यक्तियों और सहकारी समितियों को शामिल किया गया था, जो अपनी वित्तीय कठिनाइयों को कम करने और बैंक को फिर खड़ा करने के लिए तत्काल उपचारात्मक उपायों की मांग करते थे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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