बिरला ने दिल्ली विधानसभा को ‘आदर्श विधानसभा’ के रूप में विकसित करने का किया आह्वान

Ankit
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(तस्वीरों के साथ)


नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा को एक ‘‘आदर्श’’ विधानसभा के रूप में विकसित करने का आह्वान किया और नवनिर्वाचित विधायकों से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी को सीखने अपील की।

दिल्ली विधानसभा में विधायकों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बिरला ने कहा कि लोगों को विधायकों और राष्ट्रीय राजधानी की नयी सरकार से काफी उम्मीदें हैं।

दिल्ली को ‘लघु भारत’ का रूप बताते हुए बिरला ने कहा कि यहां सभी राज्यों से विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के लोग आते हैं, और उनकी अलग-अलग आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करना निर्वाचित प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम लोगों की अपने विधायकों और नयी सरकार से उच्च अपेक्षाओं को पूरा करने के तरीकों को सीखने में सहायक होगा।

विधानमंडलों को सार्थक संवाद का मंच बताते हुए बिरला ने कहा, ‘‘सदन में किसी भी प्रकार का गतिरोध नहीं होना चाहिए तथा असहमति को गरिमापूर्ण ढंग से तथा सार्थक संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने सदस्यों से सार्वजनिक जीवन में आचरण तथा नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया।

बिरला ने कहा, ‘‘लोकतंत्र का आधार संवाद और आम सहमति है, इसलिए संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए।’’

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी भाषा, आचरण और तर्क संसदीय मानदंडों के अनुरूप हों।

बिरला ने कह कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उनके सकारात्मक योगदान से लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होती है।

विधानसभा की समितियों को ‘लघु विधानमंडल’ बताते हुए बिरला ने सदस्यों से समिति की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया।

उद्घाटन सत्र में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी, विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट और दिल्ली के सांसद भी शामिल हुए।

बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अच्छा श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छा वक्ता बनने के लिये अच्छा श्रोता बनना आवश्यक है। उन्होंने विधायकों से विधानसभा के विधायी कार्यों में भाग लेने के लिए समय निकालने की अपील की।

उन्होंने विधानमंडल को कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी मंच बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग और सदस्यों को दक्ष बनाने पर भी जोर दिया।

बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं, भारत के संविधान, विशेषकर उन धाराओं से परिचित होना चाहिए, जो उनके राज्य, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से संबंधित हैं।

उन्होंने कहा कि विधि निर्माता को जितनी अधिक जानकारी होगी, वह विधान सभा में उतना ही अधिक प्रभावी होगा। बिरला ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि प्रौदयोगिकी का जितना अधिक इस्तेमाल करेंगे, उनकी चर्चाएं और विचार-विमर्श उतना ही बेहतर होगा।

बिरला ने विधायी प्रारूपण के ज्ञान के महत्व को दोहराते हुए कहा कि विधायी प्रारूपण में कुशल जनप्रतिनिधि अपने राज्य के विकास और शासन में सार्थक योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे विधायी प्रारूपण के माध्यम से, विधायक विधान सभा की मदद कर सकता है तथा प्रभावी कानून बनाने और लोगों तक सेवाएं बेहतर ढंग से पहुंचाने में सरकार की मदद कर सकता है।

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप



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