जदयू नेता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र को लेकर हो रही चर्चा पर नाराजगी जताई |

Ankit
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पटना, 17 मार्च (भाषा) बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता भगवान सिंह कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को सक्रिय राजनीति में लाने के लिए जारी चर्चा पर सोमवार को असहमति जताई।


बिहार विधान परिषद के सदस्य कुशवाहा ने पटना में पत्रकारों से यह भी कहा कि अगर निशांत (47) को जदयू की कमान सौंपी जाती है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बीच ‘कोई अंतर नहीं रह जाएगा’।

कुशवाहा ने कहा, “मैंने कभी भी पार्टी के किसी भी प्रमुख नेता, यहां तक ​​कि प्रवक्ताओं को भी निशांत के बारे में कुछ कहते नहीं देखा। शोर-शराबा ज्यादातर मीडिया में है।”

कुशवाहा, होली के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक समारोह में केंद्र बिंदु बने निशांत के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।

समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में इंजीनियरिंग स्नातक निशांत के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ लगी हुई थी।

निशांत को उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।

जदयू कार्यालय में लगे एक पोस्टर में निशांत को ‘बिहार की आवाज सुनने के लिए धन्यवाद’ दिया गया है, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका राजनीतिक प्रवेश बस कुछ ही दिनों की बात है।

कुशवाहा ने हालांकि इन अटकलों पर असहमति जताते हुए कहा, “ मैं भी मुख्यमंत्री के आवास गया था लेकिन मैंने नीतीश कुमार का अभिवादन किया। मैंने निशांत से मिलने की कोई कोशिश नहीं की।”

कुशवाहा ने निशांत के राजनीति में प्रवेश के पक्षधर होने के सवाल पर कहा, “मेरी इच्छा का क्या मतलब है?, जदयू में नीतीश कुमार का हुक्म चलेगा।”

उन्होंने मीडिया के एक वर्ग में उन अटकलों पर नाराजगी जताई, जिनमें निशांत को नीतीश की जगह देने की बात कही जा रही है।

कुशवाहा ने कहा, “अगर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगा। क्या ऐसा होना चाहिए?”

इस बीच, कुमार के प्रमुख सहयोगी और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने जोर देकर कहा कि निशांत का राजनीति में प्रवेश ‘कोई राजनीतिक सवाल नहीं है’। मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “यह कोई राजनीतिक सवाल नहीं है, जिस पर हमें बात करनी चाहिए। इस बारे में निर्णय उन्हें (पिता-पुत्र) लेना है। एक बार जब वे फैसला ले लेंगे, तो औपचारिकताएं पूरी करने में एक दिन भी नहीं लगेगा।”

भाषा अनवर जितेंद्र

जितेंद्र



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