PM मोदी ने गांधी को गौरक्षक बताया, गौरक्षा के आंदोलन से उपवास की शुरूआत…मोदी के पॉडकास्ट की 25 बड़ी बातें |

Ankit
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नईदिल्ली: PM Modi Podcast, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनके उपवास की शुरूआत गौरक्षा के लिए किए गए आंदोलन से हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि स्कूलएज में महात्मा गांधी की जो इच्छा थी गौरक्षा की उसी समय एक आंदोलन चल रहा था, सरकार कोई कानून नहीं बना रही थी उस समय पूरे देश में एक दिन का सार्वजनिक जगह पर बैठ करके उपवास रखने का कार्यक्रम था। हम तो बच्चे थे अभी अभी प्राइमरी स्कूल से शायद निकले थे, मेरा मन कर गया कि मुझे उसमें बैठना चाहिए। मेरे जीवन का वह पहला अनुभव था कि उतनी छोटी आयु में न उन्हे भूख लग रही न कुछ खाने का मन कर रहा था, मै जैसे नई कोई चेतना, इनर्जी प्राप्त कर रहा हूं। तब मेरा कन्विक्शन बना कि ये कोई विज्ञान है सिर्फ खाना नहीं खाने झगड़ा नहीं है।


पीएम मोदी ने इस पॉडकास्ट में कई मुद्दों पर चर्चा की है, इसे हम यहां संक्षिप्त रूप से यहां बिंदुवार उल्लेख कर रहे हैं।

1. फास्ट- चतुर्मास, नवरात्रि, आयुर्वेद, योग की जबरदस्त ब्रांडिंग के साथ गांधी को गौरक्षक बताया, गौरक्षा के लिए उपवास का जिक्र किया।
2. आरंभिक जीवन- बड़ा संघर्ष रहा है, जूते तक नहीं पहन पाए। व्हेन सांग जन्मगांव आए थे। तानाजीजी जहां से आईं। ऐतिहासिक गांव है मेरा। बुद्ध भिक्षुओं की शिक्षा का केंद्र था। हिंदू, जैन, बुद्ध परंपरा का प्रभाव रहा है। जीवन में अनुशासन पिता से आया। अभाव का मन पर कोई प्रभाव नहीं। गरीबी को लेकर रोया नही कभी। स्कूल की चॉक घोलकर कैनवास के जूते रंगते थे। पीएम बनने के बाद लोगों को पता चला मेरा गांव कहां है। मां स्वच्छता को लेकर सजग रही हैं। वे पारंपरिक दवाएं देती थी। काशी से जोड़ा।

3. नौजवानों को परामर्श- ईश्वर ने मुझे किसी काम के लिए भेजा है और जिसने मुझे भेजा है वो मेरे साथ है। मुसीबतें मुझे मजबूत बनाने के लिए हैं, मुसीबतें मुझे हताश निराश करने के लिए नहीं है। शॉर्टकट से बचिए। धैर्य रखिए। हमे जो दायित्व मिले उसमें जान भर दो। भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने मत दो। पाने, बनने के सपनों के साथ न बन पाने, न बनने की तैयारी भी रखो।

4. हिमालय की यात्रा- गांव की लाइब्रेरी की किताबों में मुझे हिमालय की प्रेरणा मिली। स्वामी विवेकानंद, शिवाजी को पढ़ता तो प्रेरित होता था। विवेकानंद की मां बीमार हुईं तो वे गुरु की आज्ञा से देवी से मांगने बैठे, लेकिन मांग नहीं पाए। तब समझ आया कि देने से संतोष होता है मांगने से नहीं। पाने के चक्कर में मैं सदा पाने का ही भूखा रह जाऊंगा। उसी में मुझे पता चला शिव की सेवा करनी है जीव की सेवा करो, सच्चा अद्वैत है यह। मेरे मुहल्ले के मंदिर में एक साधू अपने शरीर पर जवारे उगाकर साधना कर रहे थे। मैं इनकी सेवा करता रहा। शादी में नहीं गया। मेरा इस दिशा में ज्यादा मन लगता था। आत्मस्थानानंद मेरे मार्गदर्शक हैं। रामकृष्ण से जुड़ा रहा। उन्होंने कहा तुम्हारी भलाई नहीं समाज की भलाई के लिए है। तुम सेवा के लिए बने हो।

5. सन्यासी बनने की कहानी- मैं वैराग्य से ही काम करता हूं। स्वामी आत्मस्थानानंद की शिष्य हूं।

6. संघ और हिंदू राष्ट्रवाद- शाखा में माकोसी सोनी जी आते थे। डफली बजाकर देशभक्ति गीत गाते थे। उन्होंने प्रभावित किया तो मैं उनके साथ लग गया। संघ सिखाता है हर चीज देश को समर्पित करो। दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। संघ को समझना इतना सरल नहीं है। काम को समझने का प्रयास करना चाहिए। वेदकाल, विवेकानंद ने जो कहा है वही बातें संघ के लोग करते हैं। सेवा भारती गरीबों की सेवा के लिए है। यह सवा लाख किसी सरकार की मदद के बिना सेवा प्रकल्प चलाते हैं। वनवासी कल्याण आश्रम वनवासियों के लिए 70 हजार से ज्यादा स्कूल चलाते हैं। अमेरिका में भी इस काम के लिए 10 डॉलर एकल विद्यालय। विद्या भारती 25 हजार स्कूल चलाते हैं। 30 लाख छात्र पढ़ते हैं। कम दाम में पढ़ाई और संस्कार देते हैं। भारतीय मजदूर संघ की 55 हजार यूनियनें हैं। दुनिया में सबसे बड़ा यूनियन। वामपंथियों ने लेबर मूवमेंट को मजदूरों इकट्ठा हो जाओ मजदूर संघ कहता है श्रमिक दुनिया को एक करो। चकाचौंध से दूर साधक की तरह काम करता है संघ। मैं ऐसे पवित्र संगठन से जुड़ा हूं।

7. भारत की व्याख्या- संस्कृति हमारी पहचान। पूरे भारत में राम का गहरा प्रभाव है। नाम के आगे या पीछे राम लगता है। स्नान करते हुए पूरे भारत की हर नदी को स्मरण करते हैं। संकल्प के मंत्र जंबूद्वीपे भारत वर्षे का जिक्र किया। भारत सामाजिक व्यवस्था से चलता है। शासकीय व्यवस्था से नहीं। यह सांस्कृतिक बंधनों से एक सूत्र में है। चारधाम यात्रा करते हैं। पंचांग में भी विविधता है।

8. महात्मा गांधी- गांधी का भारत के जन-जन पर प्रभाव है। उन्होंने जो बातें कहीं वह करते थे। स्वच्छता को लेकर वे फोकस थे। गांधी जी ने आजादी को जन आंदोलन बनाया। सबको एक सूत्र में जोड़ा। मैं भी प्रयास करता हूं। गांधी हर सदी के महान नेता थे। मेरी ताकत हजारों साल की संस्कृति परंपरा और लोकशक्ति है। लोग हाथ मुझसे नहीं 140 करोड़ लोगों से मिलाते हैं। मेरी विदेश नीति न आंख उठाकर न आंख झुकाकर बात करेंगे। आंखें मिलाकर बात करेंगे। हम तो जय जगत वाले लोग हैं। हम वसुधैव कुटुंबकम वाले हैं।

9. यूक्रेन में शांति का रास्ता- बुद्ध और गांधी की भूमि है भारत। ये लोग शांति के लिए लड़े हैं। सांस्कृतिक ऐतिहासिक रूप से हमारी दुनिया सुनती है। हम लड़ाई वाले लोग नहीं, समन्वय वाले लोग हैं। परिणाम युद्धभूमि से नहीं टेबल से निकलेगा। जेलेंस्की-पुतिन बैठेंगे तब होगा। मैं न्यूट्रल नहीं शांति के पक्ष में हूं।

10. भारत-पाकिस्तान- इसका इतिहास दुनिया को नहीं पता। मुसलमान चाहते थे अलग देश, भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रखकर पाकिस्तान दे दिया। पाकिस्तान को भारत का धन्यवाद देना चाहिए। दुनियाभर में आतंकी एक्सपोर्ट करता है पाक। सिर्फ भारत को नहीं। दुनिया पहचान गई अब। ये आतंकी मानसकिता है। यह दुनिया के लिए परेशानी का केंद्र है। आतंकवाद, हत्या किसी आइडियोलॉजी का हिस्सा नहीं हो सकती। यह सिर्फ हिंसा है।

11. क्रिकेट और फुटबॉल- खेल मानव विकास का अहम हिस्सा है। खेल भावना से खेला जाए तो सब ठीक है। शहडोल में सेल्फ हेल्प ग्रुप से मिला। उन्होंने बोला हम मिनी ब्राजील से हैं, यानि इनके गांव में चार पीढ़ियों से फुटबॉल खेलते हैं। 80 से ज्यादा नेशनल प्लेयर दिए हैं।

12. डोनाल्ड ट्रंप- हाउडी मोदी इवेंट का जिक्र। ट्रंप हिम्मतवाला है। मोदी पर उनका भरोसा है। स्टेडियम में मैंने कहा चक्कर लगाते हैं वह तैयार हो गए। ट्रंप अमेरिका फर्स्ट वाले हैं मैं भारत फर्स्ट वाले हैं। इसलिए हमारी जोड़ी महत्वपूर्ण है। वे अमेरिका के लिए जीते हैं। पहली बार गया तो ट्रंप बिना किसी कागज, व्यक्ति के भी पूरे वाइट हाउस मुझे बता रहे थे। अमेरिका की हिस्ट्री बताई। यानि वे अमेरिका को जीते हैं और इंस्टीट्यूशन को सम्मान देते हैं। एलन मस्क और ट्रंप से मेरा पर्सनल नाता रहा है। डोज और ट्रंप की बात हो रही है, लेकिन कुछ हमारे यहां भी हुआ है। हमने टेक का इस्तेमाल करके 10 करोड़ अवैध हितग्राहियों को खत्म किया है। डीबीटी ने सब बदल दिया।

13. चीन और जिनपिंग- चीन और भारत के हजारों वर्ष पुराने संबंध हैं। दोनों दुनिया का भला करते रहे हैं। दुनिया की कुल जीडीपी में भारत और चीन का 50 फीसद योगदान था। इतिहास में संघर्ष नहीं रहा किसी जमाने में बुद्ध का प्रभाव चीन पर काफी था। हम कल भी इन्हें मजबूत रखना चाहते हैं। शी ने सीमा को नॉर्मल किया है। हम लोग लगे हैं। कोविड ने सबको बता दिया हमारी प्रगति कैसी है। दुर्भाग्य से कोविड से भी दुनिया कुछ नहीं सीख पाई। यूएन जैसी संस्थाएं बेकार हो रही हैं। दुनिया में सबको सबकी जरूरत है।

14. गुजरात दंगे-2002- 24 दिसंबर 1999 को हमारा विमान हाईजैक हुआ। साल 2000 में लालकिला हमला। 2001 में ट्विन टावर पर हमला। 2001 जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला। यह करने वाले एक ही लोग थे। 7 अक्टूबर 2001 को मैं सीएम बना। गुजरात भूकंप के रिहब्लीटेशन में लगा था। मैं तीन दिन का विधायक था उस समय जब गोधरा में लोगों को जिंदा जला दिया गया था। इन बैकग्राउंड के साथ एक और जुड़ गया। 2002 को बड़ा दंगा बताया गया, लेकिन सच यह नहीं है। 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा बड़े और 1969 में छह महीने तक दंगे चले थे। लेकिन 2002 को बढ़-चढ़ाकर बताया। विरोधियों की लाखों कोशिश के बाद भी न्यायालय में दो-दो बार आंकलन किया, लेकिन आरोप सिद्ध नहीं कर पाए। 2002 के बाद से कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ। हम वोट बैंक की सियासत नहीं करते। हम सबका साथ-सबका विकास- सबका विश्वास को लेकर चलते हैं। आलोचना का मैं सम्मान करता हूं। निंदक नियरे राखिए। लेकिन आजकल आलोचना नहीं हो रही। बल्कि सिर्फ आरोप लगाने में लगे हैं। क्रिटिसिज्म और एलिगेशन में फर्क है। लोकतंत्र क्रिटिसिज्म से बलवाल होता है एलिगेशन से नहीं। आलोचनाओं से नीति निर्माण में मदद मिलती है। एजेंडा लेकर जो चलते हैं वे बर्बाद करते हैं। मैंने लंदन में कहा था मक्खी गंदगी पर बैठती है और मधुमक्खी शहद पर।

15. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र- मैं किसी का विश्वास नहीं टूटने देता। बिना भेद के नीतियों का लाभ देता हूं। 1.4 अरब लोगों के देश में चुनाव जीतने के लिए यही सब करता हूं। मैं देश को देव मानकर चुनाव में जाता हूं। जनता से दूर नही रहता। मेरा अपना कोई हित नहीं है। न रिश्तेदार, मित्र, पहचान वाले नहीं हैं कोई मेरे। मैं तो सिर्फ लोक केंद्रित काम करता हूं। मेरी पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता भारत माता के लिए जीने वाले हैं। दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। बिना स्वार्थ मेरे कार्यकर्ता लगे रहते हैं। इससे जीतते हैं हम। पर्दे के पीछे चुनाव करवाने वाली टीम पर भी बात कीजिए। 940 मिलियन वोटर्स हैं। हमारे यहां 660 मिलियन लोग वोट डालते हैं। एक मिलियन पोलिंग सेंटर। ढाई हजार राजनीतिक दल हैं। 900 से ज्यादा चौबीस घंटे वाले टीवी हैं। 5 हजार से ज्यादा अखबार हैं। हमारे यहां टेक को सब एडॉप्ट करते हैं। ईवीएम से वोट रते हैं। एक दिन में नतीजे आ जाते हैं। गिर फॉरेस्ट में एक वोटर के लिए बूथ बनाया। अरुणाचल में सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ बनता है। दुनिया का सबसे स्वतंत्र चुनाव आयोग है भारत में।

16. सत्ता-शक्ति- मैं शक्तिशाली नहीं सेवक हूं। मैं खेल के गेम में नहीं हूं। मैं तो प्रो वर्कफुल हूं। मैं तो लोगों के जीवन में अधिकतम सकारात्मकता के लिए काम करता हूं। वन प्लस वन में विश्वास करता हूं। वन मैं और वन ईश्वर।

17. कठोर कार्य- मैं अकेला नहीं करता कठोर श्रम बल्कि सब करते हैं। मैं देखता हूं इतने सारे लोग मेहनत कर रहे हैं तो मुझे लगता है मैं और मेहनत करूं। हो सकता है नतीजे न आ पाएं, लेकिन मैं प्रयास नहीं छोड़ूंगा।

18. श्रीनिवास रामानुजन- विज्ञान और आध्यात्मकता का गहरा नाता है। रामानुजन कहते थे उन्हें मैथमेटिकल आइडिया उस देवी से आते हैं जिसकी वो पूजा करते हैं। तपस्या से आते हैं। तपस्या मतलब एक काम के लिए खुद को खपा देना होता है। हमे सूचना और ज्ञान के बीच फर्क पता होना चाहिए। ज्ञान धीरे-धीरे इवॉल्व होती है सूचना एक लाइन की होती है। रामानुजन यह सिखाते हैं।

19. निर्णय प्रक्रिया- मैं देश के 85 से 90 फीसद जिलों में रात्रि विश्राम किया है। इससे मरे पास ग्रासरूट ज्ञान अपना है। मेरा कोई आग्रह नहीं है। मेरा देश सबसे पहले। महात्मा गांधी कहते थे निर्णय में उलझन हो तो किसी गरीब का चेहरा देखना। सामान्य व्यक्ति को देखो। निर्णय सही होंगे। मेरी सूचनाओं के तंत्र बहुत जीवंत हैं। मेरे पास बहुत सारी जानकारी अपनी मौलिक होती हैं। इसिलए मुझे कोई और नहीं चला सकता। मैं एक छात्र की तरह जिज्ञासु और डेविल एडवोकेट करके भी पूछता हूं। ताकि सही फैसले हो पाएं। कोरोना के समय भारी दबाव था। लेकिन मैंने वही किया जो अंत में सही सिद्ध हुआ। अर्थशास्त्रियों को सुना, समझा, लेकिन माना वो जो भारत का समाज कहता था। मैं किसी अंतरराष्ट्रीय विचार के दबाव में नहीं दबा। मैं स्वयं जिम्मेदारी लेता हूं। देश के लिए क्या सही है वह करता हूं।

20. कृत्रिम बुद्धिमत्ता- बिना भारत के एआई में दुनिया कुछ भी नहीं कर सकती। हमारे पास टैलेंट पूल है। इसके बिना कुछ भी संभव नहीं। भारत सुंदर पिचाई, सत्या नटाल, अरविंद श्रीनिवास उदाहरण हैं भारत के संस्कारों के। जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों को समान सम्मान देना हमारी संस्कृत है। हमारे यहां प्रतिभाओं का भंडार है। हम अंतरिक्ष यात्राएं सस्ती करते हैं। दुनिया हमारे साथ जुड़ती है। भारत का टैसलेंट इसलिए ताकवर है क्योंकि वह संस्कृति से जुड़ा है। इंसान और एआई में शुरू में स्पर्धा लगती है, लेकिन अंत में यह एक उत्तम इंसान बनाने में सहायक होगी। इंसान की कल्पना से एआई आया है तो यह इंसान प भारी नहीं पड़ेगा।

21. शिक्षा- परीक्षा पर चर्चा के जरिए मैं बच्चों के मन और उनके पैरेंट्स को सीधे समझने का मौका मिलता है। इस बीच में शिक्षाविदों को समझने का मौका मिलता है। पैडोगॉजी भी पता चलती हैं।

22. सीख और फोकस- सुनता बहुत हूं। अंटेशन के साथ सुनता हूं। इससे सीखने की क्षमता बढ़ती जाती है। अच्छे ड्रायवरों की आत्मकथाएं पढ़कर ड्रायवर नहीं बन सकते। खुद करके देखना होता है। वर्तमान में जीने वाला विफल नहीं हो सकता। मैं मृत्यु से नहीं डरता। जन्म के साथ जो जन्म लेता है वह मृत्यु है। जीवन अनिश्चित है। इसे आपके ध्यान की जरूरत है। मृत्यु को आपके ध्यान की कोई जरूरत नहीं है। वह तो आएगी है। उससे क्या डरना। उसे दिमाग से निकाल दो। वह तो आएगी ही।

23. मंत्र- ध्यान- लेक्स को गायत्री मंत्र पढ़ाया। गायत्री का अर्थ बताया। सूर्य से जुड़ाव बताया। हर मंत्र विज्ञान से सीधे जुड़ा होता है। मंत्र मुझे अपने भीतर जोड़कर रखता है। हिमालय में मैने सीखा झरने के नीचे एक पत्ते का दोना लगा दो और टप-टप की आवाज सुनो। और कुछ भी नहीं। तो यह एक टेक्निक थी। ध्यान लगाने की। मेरा दिमाग ट्रेंड हो गया एकाग्रता के लिए। नाद ब्रह्म से मेरा नाता जुड़ गया। यही मेरा धअयायन बन गया। ओम पूर्णमिदम मंत्र का महत्व बताया। सबके कल्याण के भाव हैं भारत में।

24. लेक्स की भारत यात्रा- भारत देखकर मैं खुश हुआ। दिल्ली पूरे भारत का रंग दिखाता है, ऐसा कोई देश नहीं देखा मैंने। मैं गलियों में घूमा। मैं पूरा भारत घूमना चहात हूं।

25. सिद्धार्थ- हरमन हैसे की किताब सिद्धार्थ पढ़ी है। इसने मुझे भारत आने के लिए प्रेरित किया।

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