शैक्षणिक अंक वास्तविक योग्यता को परिभाषित नहीं कर सकते, परीक्षाएं विकास यात्रा का छोटा हिस्सा: मोदी |

Ankit
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नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि केवल शैक्षणिक अंक ही किसी छात्र की वास्तविक योग्यता को परिभाषित नहीं कर सकते और परीक्षाएं ज्ञान अर्जन और आत्म-विकास की वृहद यात्रा का एक छोटा सा हिस्सा मात्र हैं।


पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने कहा कि आज समाज में एक अजीब मानसिकता विकसित हो गई है, जिसके तहत स्कूल भी अपनी सफलता छात्रों की रैंकिंग से आंकते हैं।

मोदी ने कहा, ‘परिवार भी अपने बच्चे के उच्च रैंक प्राप्त करने पर गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि इससे उनके शैक्षिक और सामाजिक कद में सुधार होता है। इस मानसिकता के कारण बच्चों पर दबाव बढ़ गया है। बच्चों को यह भी लगने लगा है कि उनका पूरा जीवन दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं पर निर्भर करता है।’

उन्होंने कहा, ‘हमने इस मुद्दे से निपटने के लिए अपनी नयी शिक्षा नीति में अहम बदलाव किए हैं। लेकिन जब तक ये बदलाव जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो जाते, तब तक मुझे एक और जिम्मेदारी का एहसास होता है। अगर हमारे बच्चे चुनौतियों का सामना करते हैं, तो यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उनकी बात सुनूं, उन्हें समझूं और उनका बोझ हल्का करूं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं, तो उन्हें सीधे छात्रों से जानकारी मिलती है, उनके अभिभावकों की मानसिकता समझ में आती है, साथ ही शिक्षा क्षेत्र के लोगों के दृष्टिकोण का भी पता चलता है।

उन्होंने कहा, ‘इन चर्चाओं से सिर्फ छात्रों को ही लाभ नहीं होता। इनसे मुझे भी फायदा मिलता है।’

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि परीक्षाएं किसी विशिष्ट क्षेत्र में ज्ञान का स्तर आंकने का जरिया हैं, लेकिन ये किसी की समग्र क्षमता का आकलन करने का एकमात्र साधन नहीं हो सकतीं।

उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोग अकादमिक क्षेत्र में उच्च अंक नहीं हासिल कर पाते हैं, फिर भी वे क्रिकेट में शतक लगा सकते हैं, क्योंकि यही उनकी असली ताकत है। जब ध्यान पूरी तरह से सीखने पर केंद्रित होता है, तो अंक स्वाभाविक रूप से बेहतर होने लगते हैं।’

तीन घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने अभिभावकों को यह समझने की सलाह दी कि जीवन केवल परीक्षाओं तक सीमित नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘परिजनों को यह समझना चाहिए कि उनके बच्चे प्रदर्शन के लिए ट्रॉफी या समाज को दिखाने के लिए मॉडल नहीं हैं। सब कुछ यही कहने तक सीमित नहीं होना चाहिए कि देखो, मेरे बच्चे ने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। माता-पिता को वास्तव में अपने बच्चों को केवल “स्टेटस सिंबल” के रूप में इस्तेमाल करना बंद करना होगा।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दूसरी बात, छात्रों को हमेशा पहले से ही खुद को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए। तभी वे तनावमुक्त होकर और आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे सकेंगे। उन्हें खुद पर और अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा होना चाहिए। कभी-कभी मैं देखता हूं कि छात्र परीक्षा के दौरान छोटी-छोटी बातों को लेकर घबरा जाते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है, अक्सर उन्हीं को ध्यान भटकने की शिकायत होती है। लेकिन अगर आपमें आत्मविश्वास है और आपने वाकई कड़ी मेहनत की है, तो बस एक मिनट रुकें, गहरी सांस लें, अपने दिमाग को शांत करें और शांति से अपना ध्यान पुनः केंद्रित करें।’

पॉडकास्ट के दौरान मोदी ने उनके शिक्षकों द्वारा अपनाए गए नवीन तरीकों के बारे में भी किस्से साझा किए, जिनसे उन्हें अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली।

हमेशा सीखने पर ध्यान केंद्रित करने के अपने मंत्र को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पढ़ने से बहुत कुछ सीखने को मिलता था, लेकिन आजकल वे किसी भी पल में पूरी तरह से उपस्थित होकर अधिक सीखते हैं।

मोदी ने कहा, “मैं जब भी किसी से मिलता हूं, तो मैं उस पल में पूरी तरह से मौजूद रहता हूं। मैं अपना पूरा ध्यान उस पल पर केंद्रित करता हूं। यह पूर्ण ध्यान नयी अवधारणाओं को जल्दी से समझने में मेरी मदद करता है।”

भाषा

शुभम पारुल

पारुल



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