पाकिस्तान के साथ शांति बहाली के हर प्रयास से दुश्मनी और विश्वासघात मिला: प्रधानमंत्री मोदी |

Ankit
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नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ शांति बहाल करने के हर प्रयास से सिर्फ दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला।


उन्होंने उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पड़ोसी मुल्क के शीर्ष नेताओं को सद्बुद्धि आए।

अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत में मोदी ने याद दिलाया कि उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था और उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि दोनों देश एक नई शुरुआत कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “फिर भी, शांति बहाल करने के हर प्रयास के बदले दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि आए और वे शांति का रास्ता चुनें।”

मोदी ने कहा कि उनका मानना ​​है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंकी माहौल में रहने से थक चुके होंगे, जहां इस तरह की घटनाओं में मासूम बच्चों तक की हत्या की जाती है और अनगिनत लोगों की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का उनका पहला प्रयास सद्भावना का संकेत था।

मोदी ने कहा, “ऐसा दशकों में कभी भी कूटनीतिक संबंधों में नहीं देखा गया था। जो लोग कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाते थे, वे तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि मैंने सभी सार्क (दक्षिण एशियाई राष्ट्रों का समूह) राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था और हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने थे।”

प्रधानमंत्री ने रविवार को जारी तीन घंटे से ज्यादा लंबे पॉडकास्ट में कहा, “यह इस बात का सबूत है कि भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरी है। इसने दुनिया को शांति और सद्भाव के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में एक स्पष्ट संदेश दिया, लेकिन हमें वांछित परिणाम नहीं मिले।”

मोदी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही भूमिका की आलोचना की और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को अब इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि आतंक की जड़ें कहां हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बार-बार पाकिस्तान उस आतंक के केंद्र के रूप में उभरा है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को भारी पीड़ा का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के व्यवहार को विचारधारा समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए।

उन्होंने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के एक घर में छिपे होने का जिक्र करते हुए कहा, “किस तरह की विचारधारा खून-खराबे और आतंक को पोषित करने पर पनपती है? और हम इस खतरे के अकेले पीड़ित नहीं हैं। दुनिया में जहां भी आतंकी हमला होता है, उसका सुराग किसी न किसी तरह पाकिस्तान की ओर जाता है। उदाहरण के लिए 11 सितंबर के हमलों को ही देखें।”

भाषा जितेंद्र प्रशांत

प्रशांत



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