मथुरा (उप्र), 14 मार्च (भाषा) फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर देर रात होलिका दहन के बाद सुबह से ही ब्रज में होली की धूम मचने लगी। हर तरफ गुलाल और रंगों की बौछार होते देखी गई। स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आए श्रद्धालु भी होली के रंगों से सराबोर नजर आये।
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के प्रथम दिवस श्रद्धालुओं ने फालैन गांव में धधकती होली में से पण्डे के निकलने का चमत्कार देखा। इस बार यह मौका कभी आठ बरस तक लगातार जलती होली में से निकलने वाले सुशील पण्डा के छोटे पुत्र संजू पण्डा को मिला।
तड़के चार बजे जैसे ही उन्हें प्रह्लाद मंदिर में जल रहे दीपक की लौ में शीतलता का अहसास होने लगा, वैसे ही उनके एक इशारे पर होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर दी गई और संजू ने प्रह्लाद कुण्ड में डुबकी लगा अपने कदम होलिका की ओर बढ़ाए और उससे होकर बाहर आ गये। यह नजारा देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो गए।
इसके बाद तो जैसे मथुरा-वृन्दावन में हर तरफ रंग बरसता नजर आया। मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़ भी इस उत्सव में शामिल हो पूरा आनन्द लेती नजर आई। ठा. बांकेबिहारी मंदिर में रंगीली होली का समापन वाला दिन होने के नाते कुछ अलग ही माहौल बना हुआ था। वहां पहुंचा हुआ हर भक्त भगवान के साथ खुद को आत्मसात करना चाहता था।
भक्त अपने आराध्य के साथ रंगों की बौछार में सराबोर हो गए। मंदिर में अबीर-गुलाल उड़ा टेसू केसर और रजत पिचकारी से होली खेली गई, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय और आनंदमय हो गया। वहीं, प्रेम मंदिर, राधावल्लभ मंदिर समेत अन्य मंदिरों के बाहर भी भक्तों का सैलाब उमड़ता रहा।
इससे पूर्व पूर्णिमा के अवसर पर बलदेव के दाऊ बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं ने गुलाल अर्पित कर मनौती मांगी। हर ओर दाऊजी महाराज व रेवती मैया की जय-जयकार होती रहीं। शाम को विभिन्न झण्डों के साथ चौपाई गाते हुए विभिन्न वाद्य यंत्रों पर नाचते-गाते होलिका पूजन किया गया।
मांट के गांव जाबरा में जेठ और बहू की होली होती है। यहां राधाजी ने अपने जेठ बलराम संग होली खेली थी। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम ने जेठ होकर राधारानी से भाभी और देवर के समान होली खेलने की अभिलाषा व्यक्त की। राधाजी यह बात सुन कर विचलित हुईं और श्रीकृष्ण से कहा तो वे मुस्कुराकर बोले, त्रेता युग में बलराम लक्ष्मण थे, आप सीता के साथ रूप में उनकी भाभी थीं।
उसी नाते से भाभी कह दिया होगा। और उसके बाद उन्होंने जेठ के साथ होली खेली। लेकिन, उसमें मर्यादा का पूरा पालन किया गया। होली खेलने के बावजूद न उनका मुख देखा, और न अपने ही चेहरे की झलक उन्हें दिखाई। कुछ ऐसी ही जेठ-बहू की होली कोसीकलां के निकट स्थित गांव जाब और बठैन में दौज और तीज वाले दिन देखने को मिलती है।
मथुरा शहर में भी पुलिस व प्रशासन की कड़ी चौकसी के बीच होली का त्योहार पूरी तरह से शांतिपूर्वक मनाया गया और जुमे की नमाज भी सकुशल सम्पन्न हुई।
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर क्षेत्र) डॉक्टर अरविंद कुमार के मुताबिक जिले में कहीं से कोई अप्रिय घटना अथवा किसी भी प्रकार की झड़प की सूचना नहीं मिली है।
अब शनिवार को बलदेव के दाऊजी मंदिर प्रांगण में देवर-भाभी के बीच कपड़ा फाड़, कोड़े मार जैसे विशेषणों से विभूषित होने वाली होली देखने को मिलेगी। जिसे ब्रज की भाषा में ‘हुरंगा’ कहा जाता है।
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