(योषिता सिंह)
(तस्वीरों के साथ)
संयुक्त राष्ट्र, 13 मार्च (भाषा) भारत ने लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के इस्तेमाल के अपने अनुभवों को विश्व के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की है।
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं ने डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की दिशा में देश द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है।
लैंगिक डिजिटल विभाजन का मतलब है पुरुषों और महिलाओं के बीच इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल में अंतर।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, ‘‘भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के साथ आगे बढ़ रहा है और एक ऐसे देश का निर्माण कर रहा है जहां महिलाएं अवधारणा से लेकर डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी तक के क्षेत्रों में सक्रिय नेतृत्व कर रही हैं।’’
वह बुधवार को महिलाओं की स्थिति पर आयोग (सीएसडब्ल्यू) के 69वें सत्र के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आई थीं।
देवी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा आयोजित मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन का विषय था ‘महिला सशक्तीकरण के लिए डिजिटल और वित्तीय समावेशन’ तथा ‘महिला सशक्तीकरण के लिए वित्तपोषण – मुख्य संसाधनों की महत्ता’।
लैंगिक आधारित डिजिटल विभाजन को पाटने और एक सुदृढ़ सरकारी प्रणाली के निर्माण के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित करते हुए देवी ने कहा, ‘‘भारत को अपने अनुभव को विश्व के साथ साझा करने में खुशी होगी’’ । साथ् ही उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए संसाधनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
देवी सीएसडब्ल्यू में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, जो महिलाओं के मुद्दों पर केंद्रित दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक सम्मेलन है। यह वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित किया जा रहा है।
महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का 69वां सत्र 10 मार्च को शुरू हुआ था और 21 मार्च को समाप्त होगा।
देवी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में विकसित एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) ने नियमित लेन-देन की व्यवस्था को बदल दिया है।
देवी ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रों को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि जहां महिलाओं के डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, वहीं डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस तथ्य से अवगत है कि महिलाओं की गरिमा और राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित डिजिटल माहौल आवश्यक है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में महिलाएं अत्याधुनिक तकनीकी नवाचारों के केंद्र में हैं, जो अंतरिक्ष अन्वेषण, कृत्रिम मेधा से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा तक के क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहल का नेतृत्व कर रही हैं।
भाषा
देवेंद्र मनीषा
मनीषा