नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को जीन संवर्धित (जीएम) सरसों की फसल के सार्वजनिक उपयोग को सशर्त मंजूरी देने के केंद्र के 2022 के फैसले की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई 15 अप्रैल तक टाल दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि द्वारा मामले पर बहस के लिए समय मांगे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी।
वेंकटरमणि ने कहा कि सरकार के उच्चतम स्तर पर कई चर्चाएं चल रही हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि विशेष पीठ ने बहुत पहले बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया था और उन्होंने दलीलें देने की अपील की।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बिना किसी रुकावट के मामले पर विस्तार से सुनवाई करना चाहती है।
इसके बाद मामले की सुनवाई 15 और 16 अप्रैल को तय की गई।
सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई, 2024 को जीएम सरसों की फसल को पर्यावरणीय तौर पर जारी करने के लिए सशर्त मंजूरी देने के केंद्र के 2022 के फैसले की वैधता पर विभाजित फैसला सुनाया था।
हालांकि, इसने सर्वसम्मति से निर्देश दिया कि केंद्र को देश में अनुसंधान, खेती, व्यापार और वाणिज्य के लिए जीएम फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी होगी।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के तहत एक वैधानिक निकाय और देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने 18 अक्टूबर, 2022 को इसके सार्वजनिक उपयोग की सिफारिश की थी।
इसके बाद 25 अक्टूबर, 2022 को एक निर्णय लिया गया, जिसमें जीएम सरसों की एक किस्म- ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11 को जारी करने की मंजूरी दी गई।
भाषा अनुराग अजय
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