कोच्चि, चार मार्च (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि राज्य के विधिक सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित की जाए जिसमें ‘रैगिंग’ विरोधी कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन और ‘रैगिंग’ की घटनाओं की निगरानी के लिए एक तंत्र की स्थापना की मांग की गई है।
यह याचिका मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस मनु की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, जिसने विशेष पीठ के गठन का निर्देश दिया।
केएलएसए ने अपनी याचिका में कहा है कि ‘रैगिंग’ ‘‘एक गंभीर सामाजिक बुराई है जिसका प्रकोप शैक्षणिक संस्थानों में जारी है तथा उसके कारण विद्यार्थियों को गंभीर मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और यहां तक कि शारीरिक नुकसान भी हो रहा है।’’
प्राधिकरण ने दावा किया है कि रैगिंग को खत्म करने के लिए कानून, नियम और न्यायिक निर्देश होने के बावजूद, ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो ‘उन्हें लागू करने और जवाबदेही तय करने में खामियों को उजागर करती हैं।
उसने कहा कि रैगिंग की व्यापकता न केवल विद्यार्थियों की संरक्षा और सुरक्षा को कमजोर करती है बल्कि इन निवारक उपायों के कार्यान्वयन में प्रणालीगत विफलताओं को भी दर्शाती है।
भाषा संतोष राजकुमार
राजकुमार