पिछले बजट की पूरी राशि खर्च नहीं कर पाई सरकार : माता प्रसाद पांडेय |

Ankit
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लखनऊ, चार मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय ने मंगलवार को सरकार के विभिन्न विभागों पर वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आवंटित बजट की पूरी राशि खर्च नहीं कर पाने का आरोप लगाया और कहा कि गलत आकलन पर आधारित बजट बनाने का कोई औचित्य नहीं है।


समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता पांडेय ने विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कहा, “सरकार पिछले वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित बजट को पूरी तरह खर्च नहीं कर पाई। यह उम्मीद की जाती है कि आप यहां से जो बजट पारित करेंगे, उसी के अनुरूप योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन क्या कारण है कि आप पूरा बजट नहीं खर्च कर पाते हैं।”

उन्होंने कहा, “या तो आपका आकलन गलत हो जाता है या आपको संचित निधि में जितने पैसों की जरूरत होती है, उतने आपके पास आते नहीं हैं… तो इस तरह का बजट बनाने की क्या जरूरत है?”

पांडेय ने कहा, “वित्तीय वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा 80,722.62 करोड़ रुपये रहा। 2024-25 में यह बढ़कर 86,530.51 करोड़ हो गया और 2025-26 के बजट में इसके 91,399.8 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है। बढ़े हुए घाटे को कैसे कम किया जाएगा, इस पर सरकार ने कोई विशेष बात नहीं कही है।”

उन्होंने कहा, “2024-25 में पूंजी लेखे 2,03,00,782.38 रुपये लिए गए थे, मगर सिर्फ 1,86,00,988.40 रुपये ही खर्च हुए।”

पांडेय ने कहा, “2024-25 में अनुमान से कम बजट खर्च करने वाले विभागों में प्रशासनिक सेवा विभाग ने 17.9 प्रतिशत, पेंशन और विभिन्न सामान्य सेवाओं के विभाग ने 17.16 प्रतिशत, शिक्षा, खेलकूद, कला एवं संस्कृति विभाग ने 15.65 प्रतिशत, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 15.66 प्रतिशत, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने 4.9 प्रतिशत, समाज कल्याण एवं पोषण विभाग ने 3.23 प्रतिशत और कृषि तथा संबद्ध कार्यकलाप के विभाग ने 4.40 प्रतिशत कम खर्च किया।”

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य सरकार ने 2024-25 से अधिक धनराशि प्राप्त होने का अनुमान लगाया है। आपने पिछली बार जो अनुमान लगाया था, उसे तो पूरा नहीं कर पाए। जाहिर है कोई न कोई टैक्स लगेगा और अगर लगेगा, तो स्वाभाविक रूप से महंगाई बढ़ेगी।”

उन्होंने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2016 (सपा का शासनकाल) के मुकाबले 2022 (भाजपा का शासनकाल) में आपराधिक मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।

भाषा

सलीम पारुल

पारुल



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