सरकार ने रिलायंस, बीपी से ओएनजीसी के ब्लॉक से आई गैस के लिए 24,500 करोड़ रुपये की मांग की

Ankit
4 Min Read


नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) सरकार ने अपने क्षेत्र के पास स्थित गैस ब्लॉक से प्राकृतिक गैस के उत्पादन और बिक्री से हुए लाभ पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी साझेदार फर्म बीपी पर 2.81 अरब डॉलर (लगभग 24,500 करोड़ रुपये) की मांग का नोटिस भेजा है।


सरकार ने यह नोटिस 14 फरवरी को आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भेजा है। उच्च न्यायालय ने एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें रिलायंस और बीपी को नजदीकी ब्लॉक से निकाली गई गैस के लिए किसी भी हर्जाने की देनदारी नहीं बताई गई थी।

रिलायंस ने शेयर बाजार को भेजी सूचना में इस मांग नोटिस की जानकारी दी है।

कंपनी ने कहा, ‘‘खंडपीठ के फैसले के बाद पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और निको (एनईसीओ) लिमिटेड से 2.81 अरब डॉलर की मांग की है।’’

मूल रूप से रिलायंस के पास कृष्णा गोदावरी बेसिन गहरे समुद्र वाले ब्लॉक में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि बीपी के पास 30 प्रतिशत और कनाडाई कंपनी निको के पास शेष 10 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

इसके बाद, रिलायंस और बीपी ने उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) में निको की हिस्सेदारी ले ली और अब उनकी हिस्सेदारी बढ़कर क्रमशः 66.66 प्रतिशत और 33.33 प्रतिशत हो चुकी है।

सरकार ने 2016 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी के आसपास के क्षेत्रों से केजी-डी6 ब्लॉक में स्थानांतरित हुई गैस की मात्रा के लिए रिलायंस और उसके भागीदारों से 1.55 अरब डॉलर की मांग की थी। इस दावे का रिलायंस ने विरोध किया था और जुलाई, 2018 में मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने भी कहा कि वह मुआवजे का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है।

इस फैसले के खिलाफ दायर सरकार की अपील को दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने मई, 2023 में खारिज करते हुए मध्यस्थता निर्णय को बरकरार रखा था।

हालांकि, पिछले महीने उच्च न्यायालय की ही एक खंडपीठ ने रिलायंस और उसके भागीदारों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज कर दिया था।

रिलायंस ने कहा कि कंपनी को सरकार से मांग का पत्र तीन मार्च, 2025 को प्राप्त हुआ है।

इसके साथ ही उसने कहा, ‘‘कंपनी को कानूनी रूप से सलाह दी गई है कि खंडपीठ का फैसला और यह मांग टिकने योग्य नहीं है। कंपनी खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने के लिए कदम उठा रही है।’’

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा, ‘‘कंपनी को इस खाते में किसी भी देयता की उम्मीद नहीं है।’’

इसके पहले रिलायंस ने कहा था कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेगी।

यह विवाद जुलाई, 2013 में उस समय शुरू हुआ था जब ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) को संदेह हुआ कि उसके केजी-डी5 और जी-4 ब्लॉक का क्षेत्र रिलायंस के केजी-डी6 ब्लॉक से जुड़ा हुआ है।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को यह लगा कि केजी-डी5 ब्लॉक के सीमावर्ती इलाके में रिलायंस द्वारा खोदे गए कम से कम चार कुओं ने उसके संसाधनों का भी दोहन किया है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

अजय



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *