नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सालाना आधार पर 5.6 प्रतिशत घटकर 10.9 अरब डॉलर रह गया। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
अक्टूबर-दिसंबर, 2023-24 की अवधि में देश में 11.55 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में एफडीआई आवक सालाना आधार पर लगभग 43 प्रतिशत बढ़कर 13.6 अरब डॉलर रही थी।
वहीं चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में एफडीआई का सालाना प्रवाह 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर हो गया था।
इस तरह चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर, 2024) के दौरान देश में कुल एफडीआई प्रवाह 27 प्रतिशत बढ़कर 40.67 अरब डॉलर हो गया जबकि 2023-24 की समान अवधि में यह 32 अरब डॉलर था।
कुल एफडीआई प्रवाह में शेयर बाजार में निवेश, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल है।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में कुल एफडीआई प्रवाह 21.3 प्रतिशत बढ़कर 62.48 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 51.5 अरब डॉलर था।
अप्रैल-दिसंबर, 2024 की अवधि में भारत में एफडीआई निवेश के प्रमुख स्रोतों में सिंगापुर (12 अरब डॉलर), अमेरिका (3.73 अरब डॉलर), नीदरलैंड (चार अरब डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात-यूएई (4.14 अरब डॉलर), साइप्रस (1.18 अरब डॉलर) और केमैन आइलैंड (29.6 करोड़ डॉलर) रहे।
हालांकि, मॉरीशस, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में इस दौरान गिरावट दर्ज की गई।
खासकर सेवाओं, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, व्यापार, दूरसंचार, वाहन और रसायनों के क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ा।
अप्रैल-दिसंबर, 2024 के दौरान सेवा क्षेत्र में एफडीआई बढ़कर 7.22 अरब डॉलर हो गया जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 5.18 अरब डॉलर था। वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह 3.5 अरब डॉलर रहा।
आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-दिसंबर में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 16.65 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया। इसके बाद कर्नाटक (4.5 अरब डॉलर) और गुजरात (लगभग 5.56 अरब डॉलर) का स्थान रहा।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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