अर्थव्यवस्था की हालत सुधरी, दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत पर

Ankit
7 Min Read


नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) मुश्किल वैश्विक हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत रही। सालाना आधार पर वृद्धि दर सुस्त पड़ने के बावजूद तिमाही आधार पर बेहतर हुई है।


शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि जुलाई-सितंबर 2024 में वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। इस तरह जीडीपी वृद्धि सात तिमाहियों के निचले स्तर से उबरने में सफल रही।

हालांकि बीती तिमाही का वृद्धि आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान से कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया था।

इसके साथ ही समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को सरकार ने अब मामूली रूप से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि पिछला अनुमान 6.4 प्रतिशत का था। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित वृद्धि अनुमान 9.2 प्रतिशत से यह काफी कम है।

इसके बावजूद भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अगले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि निर्यात में वृद्धि और सरकारी एवं निजी व्यय में वृद्धि से वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक रफ्तार कायम रहने की उम्मीद है।

नागेश्वरन ने कहा कि दिसंबर तिमाही में सरकारी व्यय बहाल होने, निर्माण क्षेत्र का मूल्यवर्धन होने, मजबूत ग्रामीण मांग आने और सेवा निर्यात बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी रही। हालांकि शहरी उपभोग में नरमी बनी हुई है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सरकार ने चौथी तिमाही में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जो वैश्विक अनिश्चितता के बीच थोड़ा अधिक लग रहा है। वस्तु निर्यात और जिंस कीमतों की वजह से कंपनियों के मार्जिन में कमी आ सकती है।’

इस बीच, आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों का उत्पादन जनवरी माह में 4.6 प्रतिशत बढ़ा जबकि पिछले साल इसी महीने में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दिसंबर 2024 में प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों का उत्पादन 4.8 प्रतिशत बढ़ा था।

महालेखा नियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2025 के अंत में केंद्र का राजकोषीय घाटा वार्षिक लक्ष्य का 74.5 प्रतिशत हो गया। वास्तविक रूप में राजकोषीय घाटा अप्रैल-जनवरी 2024-25 की अवधि के दौरान 11,69,542 करोड़ रुपये था।

एक साल पहले की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 2023-24 के संशोधित अनुमान का 63.6 प्रतिशत था।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर, 2023 की अवधि में जीडीपी वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रही थी।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि दर एक साल पहले की समान तिमाही के 14 प्रतिशत से घटकर 3.5 प्रतिशत रह गई।

खनन और उत्खनन उत्पादन वृद्धि दर तीसरी तिमाही में एक साल पहले के 4.7 प्रतिशत से घटकर 1.4 प्रतिशत रह गई।

निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी एक साल पहले के 10 प्रतिशत से घटकर सात प्रतिशत रह गई।

हालांकि, इस तिमाही में कृषि क्षेत्र का उत्पादन 5.6 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों से पता चलता है कि बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य जन केंद्रित सेवा क्षेत्र में तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 10.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

सेवा क्षेत्र- व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में वृद्धि दर एक साल पहले के आठ प्रतिशत के मुकाबले 6.7 प्रतिशत रही।

वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो एक साल पहले की समान तिमाही में 8.4 प्रतिशत थी।

लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत से अधिक है।

एनएसओ ने बयान में कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी यानी स्थिर कीमतों पर जीडीपी का आकार 187.95 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी का पहला संशोधित अनुमान 176.51 लाख करोड़ रुपये है।’

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान वास्तविक जीडीपी में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2023-24 में 9.2 प्रतिशत थी।

बयान के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर जीडीपी का आकार चालू वित्त वर्ष के अंत में 331.03 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है जबकि 2023-24 में यह 301.23 लाख करोड़ रुपये थी। इस तरह 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर की संभावना है।

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी 47.17 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में यह 44.44 लाख करोड़ रुपये थी। यह 6.2 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाती है।

इसके साथ ही एनएसओ ने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के लिए जीडीपी वृद्धि को 8.2 प्रतिशत से संशोधित कर 9.2 प्रतिशत कर दिया है।

एनएसओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के जीडीपी अनुमानों को भी 6.7 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत से संशोधित कर क्रमश: 6.5 और 5.6 प्रतिशत कर दिया है।

इस तरह अप्रैल-दिसंबर 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 9.5 प्रतिशत थी।

एनएसओ के मुताबिक, प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए क्रमशः 1,69,145 रुपये और 1,88,892 रुपये अनुमानित है।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *