वैश्विक स्तर पर पहचान बना चुका ‘डीपसीक’ चीन के उभरते एआई उद्योग का महज एक हिस्सा है

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(मिमी जू, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)


सिडनी, 27 फरवरी (द कन्वरसेशन) चीन की एक छोटी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कंपनी ‘डीपसीक’ ने पिछले महीने जब अत्यंत कुशल और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी एआई मॉडलों से पर्दा उठाया, तो वैश्विक प्रौद्योगिकी समुदाय दंग रह गया।

इन मॉडलों के पेश होने के बाद प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत का पता चला। साथ ही एआई के क्षेत्र में प्रगति को लेकर चीन का विशिष्ट दृष्टिकोण भी जाहिर हुआ।

डीपसीक चीन के व्यापक एआई परिदृश्य का सिर्फ एक हिस्सा है। वास्तव में, देश में एआई कंपनियों का एक विशाल ईकोसिस्टम है।

भले ही इन एआई कंपनियों को डीपसीक, ओपनएआई और ‘एंथ्रोपिक’ जैसी एआई कंपनियों की तरह वैश्विक स्तर पर पहचान न मिली हो। लेकिन प्रत्येक कंपनी ने अपनी खुद की विशेषता कायम की है और इस तेजी से विकसित हो रही तकनीक के विकास में इनका योगदान अहम है।

चीन के प्रौद्योगिकी उद्योग की दिग्गज कंपनियों में बायदू, अलीबाबा और टेनसेंट शामिल हैं। ये सभी कंपनियां एआई के विकास में भारी निवेश कर रही हैं।

अलीबाबा के सीईओ एडी वू ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अरबों डॉलर की यह कंपनी मानव बुद्धि के बराबर या उससे अधिक उन्नत एआई विकसित करने के लिए ‘जोरदार तरीके से निवेश’ करने की योजना बना रही है।

कंपनी पहले से ही एप्पल के साथ मिलकर अपने मौजूदा एआई मॉडल को चीनी आईफोन में शामिल करने के लिए काम कर रही है। (चीन के बाहर आईफोन इसी तरह से चैटजीपीटी के साथ ओपनएआई को जोड़ने का प्रस्ताव दे रहे हैं।)

लेकिन नयी छोटी व विशिष्ट एआई कंपनियां भी उभर रही हैं।

उदाहरण के लिए, शंघाई में सूचीबद्ध ‘कैम्ब्रिकॉन टेक्नोलॉजीज’ एआई चिप विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। यितू टेक्नोलॉजी स्वास्थ्य सेवा व स्मार्ट सिटी अनुप्रयोगों में विशेषज्ञता रखती है।

मेगवी टेक्नोलॉजी और क्लाउडवॉक टेक्नोलॉजी ने ‘इमेज रिकॉग्निशन’ और कंप्यूटर विजन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है, जबकि आईफ्लाईटेक ने ध्वनि पहचान प्रौद्योगिकी विकसित की है।

अमेरिका के चिप प्रतिबंधों और चीन के प्रतिबंधित सूचना वातावरण के बावजूद, इन चीनी एआई कंपनियों ने सफलता के रास्ते खोज लिए हैं।

ओपनएआई जैसी अमेरिकी कंपनियों ने अपने बड़े भाषा मॉडल को खुले इंटरनेट पर प्रशिक्षित किया है। लेकिन चीनी कंपनियों ने वीचैट, वीबो और झिहू जैसे घरेलू प्लेटफार्मों से विशाल डेटासेट का उपयोग किया है। वे सरकार द्वारा अधिकृत डेटा स्रोतों का भी उपयोग करते हैं।

कई चीनी एआई कंपनियां भी ‘ओपन-सोर्स डेवलपमेंट’ को अपनाती हैं। इसका मतलब है कि वे विस्तृत तकनीकी पेपर प्रकाशित करती हैं और दूसरों के लिए अपने मॉडल जारी करती हैं। यह दृष्टिकोण कंप्यूटिंग के बजाय दक्षता और व्यावहारिक अनुप्रयोग पर केंद्रित है।

इसका परिणाम यह हुआ कि एआई के प्रति विशिष्ट चीनी दृष्टिकोण सामने आया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि एआई विकास के लिए चीन में सरकारी समर्थन भी काफी रहा है। केंद्र सरकार के अलावा, स्थानीय और प्रांतीय सरकारों ने ‘वेंचर फंड’, सब्सिडी और कर प्रोत्साहन के माध्यम से बड़े पैमाने पर धन मुहैया कराया है।

वेंचर फंड के तहत स्टार्ट अप या कंपनियों में निवेश किया जाता है और बाद में उनमें हिस्सेदारी मिलती है।

चीन ने हाल के वर्षों में विभिन्न शहरों में कम से कम 48 ‘डेटा एक्सचेंज’ भी स्थापित किए हैं। ये अधिकृत बाजार हैं जहां एआई कंपनियां विनियमित वातावरण में बड़े पैमाने पर डेटासेट खरीद सकती हैं।

वर्ष 2028 तक चीन 100 से अधिक “विश्वसनीय डेटा स्पेस” स्थापित करने की भी योजना बना रहा है।

चीन में एआई उद्योग का विकास एआई शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।

वर्ष 2018 में, चीन के शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों में एआई नवाचार को गति देने के लिए एक कार्य योजना शुरू की।

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 2017 से अब तक 535 विश्वविद्यालयों ने एआई स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किए हैं और 43 विशिष्ट एआई स्कूल और अनुसंधान संस्थान भी बनाए गए हैं।

ये संस्थान मिलकर चीन में एआई प्रतिभाओं की एक पीढ़ी तैयार कर रहे हैं। यह 2030 तक वैश्विक एआई नवाचार में अग्रणी बनने की बीजिंग की महत्वाकांक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

वैश्विक एआई परिदृश्य पर चीन और अमेरिका का दबदबा है। लेकिन कई और देश भी एआई के क्षेत्र में तरक्की कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, फ्रांस की मिस्ट्रल एआई ने बड़े भाषा मॉडल बनाने के लिए अब तक एक अरब यूरो से अधिक धनराशि जुटाई है। इसकी तुलना में, ओपनएआई ने हाल ही में एक फंडिंग राउंड में 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं, और आगे 40 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिए बातचीत कर रही है।

अन्य यूरोपीय कंपनियां विशेष अनुप्रयोगों, विशिष्ट उद्योगों या क्षेत्रीय बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, जर्मनी की एलेफ अल्फा एक एआई टूल प्रदान करती है, जिससे कंपनियों को अपने उद्देश्यों के लिए तीसरे पक्ष के मॉडल को अनुकूलित करने की सुविधा मिलती है।

एआई का भविष्य सिर्फ इस बात से तय नहीं होता कि इस दौड़ में कौन आगे है।

इसके बजाय, यह इस बात से तय हो सकता है कि अलग-अलग दृष्टिकोण किस तरह से प्रौद्योगिकी के विकास को आकार देते हैं। चीन का मॉडल उन दूसरे देशों के लिए महत्वपूर्ण सबक देता है जो कुछ जोखिमों का प्रबंधन करते हुए अपनी एआई क्षमताओं का निर्माण करना चाहते हैं।

(द कन्वरसेशन)

जोहेब मनीषा

मनीषा



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