मुंबई, 25 फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) द्वारा जारी उस नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें मुंबई मेट्रो के लिए परामर्श सेवाओं के संबंध में एक निजी कंपनी के साथ उसका अनुबंध समाप्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि राज्य की एजेंसी ‘‘अनुबंध क्षेत्र’’ में भी मनमाने फैसले नहीं ले सकती। पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि एमएमआरडीए ने सिस्ट्रा एमवीए कंसल्टिंग (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड की सेवाएं बंद करने का कारण नहीं बताया।
कंपनी को 2021 में मुंबई मेट्रो के तीन मार्गों – ठाणे-भिवंडी-कल्याण, अंधेरी-सीएसआईए और मीरा भायंदर के डिजाइन, खरीद में सहायता, निर्माण, प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए सामान्य सलाहकार नियुक्त किया गया था।
शुरुआती अनुबंध नवंबर 2024 को समाप्त होना था लेकिन इसे दिसंबर 2026 तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि, तीन जनवरी, 2025 को एमएमआरडीए ने कंपनी को एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि उसने कंपनी की सेवाएं बंद करने का फैसला किया है। इसके बाद कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
एमएमआरडीए ने दावा किया कि अनुबंध की सामान्य शर्तें उसे बिना कोई कारण बताए इसे समाप्त करने का अधिकार देती हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि दिसंबर 2026 तक बढ़ाए गए अनुबंध की शर्तों को बिना कोई कारण बताए समाप्त करने में एमएमआरडीए की कार्रवाई मनमानी, अकारण और अनुचित है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य या उसका कोई भी अधिकारी अनुबंध के क्षेत्र में काम करते हुए भी निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए बाध्य है और वह मनमाने ढंग से या अनुचित तरीके से काम नहीं कर सकता।
अदालत ने कहा, ‘‘अनुबंध की सामान्य शर्तों का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि एमएमआरडीए को बिना कोई कारण बताए अनुबंध के क्षेत्र में अकारण, मनमाने या अनुचित तरीके से काम करने का लाइसेंस है।’’
अदालत ने नोटिस को खारिज कर दिया और एमएमआरडीए को कंपनी का पक्ष सुनने के बाद फिर से फैसला लेने का निर्देश दिया।
भाषा सुरभि पवनेश
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