नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि सामाजिक सुरक्षा भारत की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का एक बुनियादी स्तंभ बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि इसकी पहुंच 2021 में कुल आबादी का 24.4 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 48.8 प्रतिशत हो गई है।
मांडविया ने ‘सामाजिक न्याय 2025 पर क्षेत्रीय संवाद’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “बेरोजगारी दर 2017-18 में छह प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 3.2 प्रतिशत हो गई है, जबकि श्रम बल भागीदारी दर 49.8 प्रतिशत से बढ़कर 60.1 प्रतिशत हो गई है।”
उन्होंने कहा कि ये सकारात्मक संकेतक हमारे सुधारों और उपायों के प्रभाव को रेखांकित करते हैं। श्रम सुधार भारत की कार्यबल नीतियों को आधुनिक बनाने के प्रयासों का आधार रहे हैं।
मांडविया ने बताया कि 29 श्रम कानूनों को चार सरल श्रम संहिताओं में समेकित करने से श्रमिक कल्याण, सार्वभौमिक मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा मिला है तथा सुरक्षित कार्य स्थितियां सुनिश्चित हुई हैं।
मंत्री ने कहा कि इन सुधारों से पंजीकरण, लाइसेंस और अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके कारोबार करने में आसानी भी हुई है।
मांडविया ने कहा, “सामाजिक सुरक्षा भारत की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का एक बुनियादी स्तंभ बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र किया गया है, जो 2024 में 48.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। हम आईएलओ के साथ आगे आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया में हैं।”
उन्होंने कहा कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का आधुनिकीकरण किया गया है ताकि अधिक श्रमिकों को इसका लाभ मिल सके।
ई-श्रम पोर्टल में 30 करोड़ से अधिक पंजीकृत असंगठित श्रमिक हैं। इसेमं सामाजिक लाभों की अंतिम छोर तक आपूर्ति को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों का उदाहरण है।
सत्र के दौरान, मंत्री ने देशभर के श्रमिकों के लिए पहुंच और सुविधा बढ़ाने के लिए ई-श्रम मोबाइल ऐप भी पेश किया। ई-श्रम पोर्टल अनौपचारिक श्रमिकों का एक राष्ट्रीय आंकड़ा संग्रह (डेटाबेस) है और सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं के लिए सुविधा प्रदान करता है।
भाषा अनुराग रमण
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