नागरकुरनूल (तेलंगाना), 23 फरवरी (भाषा) भारतीय सेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद, एसएलबीसी परियोजना में सुरंग के अंदर 30 घंटे से अधिक समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के बचाव अभियान में रविवार को कोई सफलता नहीं मिली।
तेलंगाना में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना (एसएलबीसी) के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से कर्मी अंदर फंस गए हैं।
प्रदेश के मंत्री जे. कृष्ण राव ने संवाददाताओं से कहा कि इन परिस्थितियों में बचने की संभावना “बहुत अच्छी नहीं है”।
सुरंग के अंदर गए कृष्ण राव ने संवाददाताओं को बताया, “सुरंग के अंदर मलबा इतना अधिक जमा हो गया है कि उसमें होकर गुजरना असंभव हो गया है। वे (बचावकर्ता) उसमें से गुजरने के लिए रबर ट्यूब और लकड़ी के तख्तों का उपयोग कर रहे हैं।”
फंसे हुए लोगों के बचने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हम कुछ नहीं कह सकते। हमें उम्मीद है, लेकिन जो घटना हुई वह बहुत गंभीर थी और हम कुछ नहीं कह सकते। बचने की संभावना के बारे में हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते। संभावनाएं उतनी अच्छी नहीं हैं।”
कृष्णा राव ने बताया कि घटना के बाद कुछ जीवित बचे लोग तैरकर सुरंग पार कर गए।
राज्य सरकार द्वारा जारी वीडियो में बचावकर्मी मिट्टी की मोटी परतों, लोहे की उलझी हुई छड़ों और सीमेंट खंडों के बीच से गुजरते नजर आ रहे हैं।
मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि शनिवार की सुबह जब सुरंग का हिस्सा ढहा तब लगभग 70 लोग सुरंग में काम कर रहे थे और उनमें से अधिकतर बच निकलने में सफल रहे।
रेड्डी ने कहा, ‘‘लेकिन कल से आठ लोग लापता हैं। हम प्रार्थना कर रहे हैं कि वे सुरक्षित रहें…।’’
मंत्री ने कहा कि सुरंग के ध्वस्त हुए हिस्से का अंतिम 200 मीटर हिस्सा पानी और गाद से भर गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि बचाव दल को घटनास्थल पर पहुंचने में कठिनाई हो रही है।
उत्तम रेड्डी ने कहा कि भौगोलिक स्थिति के कारण सुरंग में भारी मशीनरी ले जाना मुश्किल हो गया है, लेकिन अधिकारी मलबा हटाने के लिए वैकल्पिक तरीकों पर काम कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि सिंचाई विभाग, आपदा प्रतिक्रिया दल और रक्षा कर्मी समन्वय के साथ प्रयास कर रहे हैं, ऑक्सीजन का लगातार प्रवाह किया जा रहा है और पानी निकालने के लिए मोटर का उपयोग किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि जो टीमें 13वें किलोमीटर तक पहुंचने में सफल रहीं, जहां सुरंग ध्वस्त हो गई थी, उन्होंने फंसे हुए व्यक्तियों के नाम पुकारे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
फंसे हुए लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्रीनिवास, जम्मू-कश्मीर के सन्नी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू, जगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है।
इन आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार मजदूर हैं।
बचाव अभियान की निगरानी कर रहे नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार टीमें – एक हैदराबाद से और तीन विजयवाड़ा से – जिनमें 138 सदस्य हैं, सेना के 24 कर्मी, एसडीआरएफ के कर्मी, एससीसीएल के 23 सदस्य उपकरणों के साथ बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
उन्होंने रविवार दोपहर को कहा, ‘अभी तक, हमारा उनसे (फंसे हुए लोगों से) कोई संपर्क नहीं हो पाया है।’
एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने एक टीवी चैनल को बताया कि एक टीम कल रात सुरंग के अंदर गई थी। वहां बहुत सारा मलबा है और सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) भी क्षतिग्रस्त है और उसके हिस्से अंदर बिखरे पड़े हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘13.5 किलोमीटर के बिंदु से ठीक पहले दो किलोमीटर पर जलभराव है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इस कारण हमारे भारी उपकरण अंतिम बिंदु तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जल निकासी का काम पूरा करना होगा, जिससे उपकरण आगे तक पहुंच सकें। इसके बाद ही मलबा हटाने का काम शुरू हो सकता है। पानी निकालने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अतिरिक्त मोटरों का इस्तेमाल किया गया है।’’
जिलाधिकारी ने बताया कि 13.5 किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद टीम ने फंसे हुए लोगों को बुलाया, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इस बिंदु के बाद अब भी 200 मीटर का हिस्सा है और उनके पास पहुंचने के बाद ही स्थिति का पता चल पाएगा।
एक रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया है कि सिकंदराबाद से भारतीय सेना के बाइसन डिवीजन के इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को बचाव अभियान में तैनात किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, “भारतीय सेना बचाव प्रयासों में तेजी लाने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है। भारतीय सेना की प्राथमिकता अंदर फंसे लोगों को शीघ्र और सुरक्षित बाहर निकालना है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से फोन पर बात की और चल रहे बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राहुल गांधी ने उठाए गए कदमों और निरंतर सतर्कता एवं निगरानी की सराहना की तथा सरकार से कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाए।
तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने रविवार को नागरकुरनूल के जिला अधिकारी बी संतोष से फोन पर बात की और सुरंग ढहने के बाद जारी बचाव कार्यों की जानकारी ली।
इस बीच, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेवंत रेड्डी से फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए हरसंभव सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया, क्योंकि उनमें से चार उनके राज्य के हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, सुरंग में फंसे झारखंड के चार मजदूर राज्य के गुमला जिले के हैं।
भाषा प्रशांत अविनाश
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