ग्रामीण बिहार में महिला उद्यमी किसानों को जलवायु चुनौतियों से निपटने में कर रही हैं मदद

Ankit
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(तस्वीरों के साथ)


(उज्मी अतहर)

मुजफ्फरपुर (बिहार), 23 फरवरी (भाषा) ग्रामीण बिहार के हृदयस्थल, जहां भूजल में कमी, अत्यधिक गर्मी और अनिश्चित मौसम ने किसानों पर कहर बरपाया है, वहां बदलाव की एक शांत बयार चल रही है।

कभी जो महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद अपने घरों तक ही सीमित रहती थीं अब उनका एक समूह कृषि-उद्यमी के रूप में उभरा है। ये महिलाएं न केवल अपने जीवन में बदलाव ला रही हैं, बल्कि अपने समुदायों को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के अनुकूल ढलने में भी मदद कर रही हैं।

प्रत्येक कृषि-उद्यमी (एई) कम से कम 150-200 छोटे और सीमांत किसानों के साथ काम करती है जो तेज होती जलवायु चुनौतियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

ये कृषि उद्यमी किसानों को सिंचाई के लिए समाधान प्रदान करती हैं, जलवायु-अनुकूल बीज उपलब्ध कराती हैं, फसल विविधीकरण में मदद करती हैं। वे डिजिटल कार्य के लिए हेल्पडेस्क के रूप में कार्य करती हैं – अनिवार्य रूप से वे उन सभी समस्याओं के लिए वन-स्टॉप सेंटर हैं जिनका किसान सामना कर सकते हैं।

उनका पारिश्रमिक पंचायत के किसानों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के अनुपात में होता है।

उदाहरण के तौर पर हाजीपुर की सोनी कुमारी ने पिछले साल एक किसान को किसान कार्ड के लिए पंजीकृत करके कृषि-उद्यमी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। फिर उन्होंने किसान की प्रोफाइल-उसके सामाजिक संकेतक, वित्त और फसल पैटर्न के आधार पर एक विस्तृत व्यवसाय प्रस्ताव तैयार किया ।

इसके बाद उन्होंने किसानों की आवश्यकताओं को ‘प्रबंधन सूचना प्रणाली’ में दर्ज किया तथा अपने ग्राहकों का एक डेटाबेस तैयार किया, ताकि मांग को समझा जा सके और अपने उद्यम के लिए एक व्यवसाय योजना बनाई जा सके।

विज्ञान स्नातक सोनी कभी गृहिणी थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने में सबसे आगे होंगी।

सोनी ने बताया, ‘‘मैंने सूक्ष्म वित्तपोषण ऋण लेकर एक दुकान खोली है, जहां मैं जलवायु-अनुकूल बीजों से लेकर जैविक खाद और उर्वरकों तक सब कुछ रखती हूं। हमारे पास सिंचाई के लिए ड्रोन भी हैं।’’

सोनी ने बताया कि ड्रोन तकनीक उनके लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित हुई है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 5,178 एई आठ लाख से अधिक किसानों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं और 2,21,000 एकड़ भूमि के लिए सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

वे बीज, कीटनाशक, उर्वरक, कृषि उपकरण प्रदान करती हैं और नर्सरी प्रबंधन, सामूहिक विपणन और डिजिटल बैंकिंग पर सेवाएं प्रदान करती हैं।

भाषा

राजकुमार नरेश

नरेश



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