नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) आगामी होली त्योहार के मद्देनजर मांग बढ़ने और विदेशी तेलों के महंगा होने से आयात में गिरावट के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम मजबूत बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में आयातित पाम-पामोलीन के दाम में वृद्धि हुई है जिससे पाम-पामोलीन का आयात कम हुआ है। जनवरी में खाद्य तेलों का आयात 10 लाख सात हजार टन का हुआ था, जिसके फरवरी में घटकर 9.5 लाख टन रहने की संभावना है। आयातित तेल की कमी को पूरा करने की स्थिति में न तो सरसों है न ही बिनौला। ऐसे में त्योहारों के मद्देनजर सरकार को देखना होगा कि आयात की कमी को कैसे पूरा किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह से पहले आयात होने वाले जिस सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,175-1,180 डॉलर प्रति टन था वह बीते सप्ताह बढ़कर 1,195-1,200 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी प्रकार पहले जिस सीपीओ का दाम 1,185-1,190 डॉलर प्रति टन था वह बढ़कर बीते सप्ताह 1,200-1,205 डॉलर प्रति टन हो गया।
सूत्रों ने कहा कि देश में कपास का उत्पादन कम हुआ है और अगली फसल अक्टूबर में आने की संभावना है। ऐसे में मजबूत किसानों के पास थोड़ा बहुत कपास बचा है जिसे वे रोक-रोक कर बाजार में इसे ला रहे हैं। पश्चिमी भारत के कुछ स्थानों पर मिलावटी बिनौला खल की शिकायतों के मद्देनजर सरकार ने कुछ स्थानों पर छापेमारी की है। सरकार को इस दिशा में एक निरंतर अभियान चलाते रहना चाहिये क्योंकि इसके कारण कारोबारी धारणा प्रभावित होने के साथ-साथ मवेशियों की सुरक्षा की चिंता पैदा होती है।
सूत्रों ने कहा कि देश का तेल-तिलहन उत्पादन बढ़े और आत्मनिर्भरता के जरिये बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हो, इसके लिए जरूरी है कि देशी तिलहन किसान अभी जो उत्पादन बढ़ा रहे हैं, उसके सही दाम पर बिकने के लिए बाजार बनाया जाये। किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे तो उन्हें बार-बार उत्पादन बढ़ाने के लिए कहने की जरूरत भी नहीं होगी बल्कि वे खुद-ब-खुद उत्पादन बढ़ा देंगे। सरकार को केवल देशी तेल-तिलहन का बाजार बनाने के लिहाज से खाद्य तेल आयात और उसके कराधान की नीति को तय करना होगा।
उन्होंने कहा कि खली और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की खपत बढ़ाने के लिए किसानों को नीतिगत समर्थन के साथ कुछ प्रोत्साहन देने के बारे में भी विचार करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में हाजिर बाजार में सोयाबीन, मूंगफली और सूरजमुखी जैसे तिलहन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर बिक रहे हैं। इसे सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है। ऐसे उत्पादन बढ़ाने का क्या फायदा होगा जब उसके वाजिब दाम भी किसानो को न मिल पायें?
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 175 रुपये के सुधार के साथ 6,300-6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 450 रुपये के सुधार के साथ 13,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 70-70 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,365-2,465 रुपये और 2,365-2,490 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 5-5 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,280-4,330 रुपये और 3,980-4,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी तरह, सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 350 रुपये, 300 रुपये और 250 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,350 रुपये, 13,950 रुपये और 10,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन का भाव 175 रुपये की तेजी के साथ 5,650-5,975 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 200 रुपये और 45 रुपये के सुधार के साथ 14,400 रुपये और 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 400 रुपये सुधरकर 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये मजबूत होकर 14,950 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 13,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
मजबूती के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 400 रुपये की तेजी के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
अजय
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