हम स्वास्थ्य को विकास का केंद्र, विकास को वैश्विक सहयोग की कुंजी मानते हैं: जयशंकर |

Ankit
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नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कोविड-19 महामारी के दौरान विभिन्न देशों को चिकित्सा सहायता मुहैया कराए जाने का उल्लेख करते हुए शनिवार को कहा कि भारत स्वास्थ्य को विकास के केंद्र में रखता है और विकास अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कुंजी है।


उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार की ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल और हाल के वर्षों में यूक्रेन, अफगानिस्तान तथा अन्य देशों को मुहैया कराई गई चिकित्सा सहायता का हवाला दिया।

अपोलो हेल्थकेयर समूह द्वारा आयोजित 12वें अंतरराष्ट्रीय रोगी सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत में निजी स्वास्थ्य उद्योग ने भी विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में सुविधाओं और क्षमताओं में योगदान दिया है तथा ‘‘हम इस उद्योग को एक साझेदार के रूप में महत्व देते हैं।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम भारत में स्वास्थ्य को विकास का केंद्र और विकास को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कुंजी मानते हैं। हाल के वर्षों में, हमारी कई वैश्विक पहल स्वास्थ्य सुरक्षा के इर्द-गिर्द घूमती रही हैं। यह ऐसा क्षेत्र है जहां भारत पिछले दशक में पहला कदम उठाने वाला, विकास भागीदार, आपूर्ति श्रृंखला कड़ी, स्वास्थ्य समाधान प्रदाता और कई मायनों में एक आदर्श रहा है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व भर के 78 देशों में 600 से अधिक महत्वपूर्ण विकास परियोजनाएं को पूरा किया है और उनमें से कई स्वास्थ्य क्षेत्र में हैं।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हाल में, हमने गाजा में मानवीय संकट से निपटने के लिए 66.5 टन चिकित्सा आपूर्ति भेजी। उससे कुछ समय पहले, सीरिया में अस्पतालों की चिकित्सा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 1,400 किलोग्राम कैंसर रोधी दवा की खेप भेजी गई थी।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में भी भारत ने पिछले कुछ वर्षों में 300 टन दवाइयां भेजी हैं। काबुल में हमारे द्वारा बनाए गए एक अस्पताल में विशेषज्ञों को भी भेजा है।’’

जयशंकर ने श्रीलंका में 2022 के आर्थिक संकट के दौरान अस्पतालों को प्रदान की गई सहायता, रूस के साथ संघर्ष में हताहतों की संख्या बढ़ने पर यूक्रेन को दी गई सहायता, चक्रवात ‘यागी’ से प्रभावित होने के बाद म्यांमा को उपलब्ध कराई गई सहायता का भी उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रयास में, भारत ने बड़े और छोटे, द्वीपीय और निकटवर्ती और सुदूरवर्ती भारतीय साझेदारों के साथ काम किया, साथ ही अपने नागरिकों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने में जुटा रहा।’’

जयशंकर ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की भूमिका और इसकी ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल को भी याद किया। जयशंकर ने कहा, ‘‘जब दुनिया में कोविड महामारी का प्रकोप शुरू हुआ तो शुरुआती विचार-विमर्श में, जिनमें से कुछ में मैं खुद भी मौजूद था, भारत को संभावित रूप से सबसे बड़ी चिंता के रूप में देखा गया। विडंबना यह है कि भारत ने न केवल अपनी जरूरतों का ध्यान रखा, बल्कि दुनिया में योगदान देने के लिए आगे बढ़ा।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि उस समय भारत ने 150 देशों को दवाइयां, 99 देशों और दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों को टीके तथा मास्क, पीपीई किट, दस्ताने और वेंटिलेटर उपलब्ध कराए।

भाषा आशीष देवेंद्र

देवेंद्र



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