नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय डिजिटल मंचों पर ‘‘अश्लीलता और हिंसा’’ दिखाए जाने की शिकायतों के बीच ‘‘हानिकारक’’ सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता और मौजूदा वैधानिक प्रावधानों की समीक्षा कर रहा है।
संसदीय समिति को दिए अपने जवाब में मंत्रालय ने कहा कि समाज में इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि ‘‘डिजिटल मंचों पर अश्लील और हिंसक सामग्री दिखाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा है।’’
मंत्रालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को बताया कि वर्तमान कानूनों के तहत कुछ प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन ऐसी हानिकारक सामग्री को विनियमित करने के लिए एक सख्त एवं प्रभावी कानूनी ढांचे की मांग बढ़ रही है।
इसने कहा, ‘‘मंत्रालय ने इन घटनाक्रम पर ध्यान दिया है और वह वर्तमान वैधानिक प्रावधानों एवं नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता की समीक्षा कर रहा है।’’
मंत्रालय ने कहा कि कई उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय, सांसदों और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी वैधानिक संस्थाओं ने इस मुद्दे पर बात की है, जो सोशल मीडिया ‘इंफ्लूएंसर’ रणवीर इलाहाबादिया की अभद्र टिप्पणियों की व्यापक निंदा के बाद सुर्खियों में आया है।
इसने समिति को बताया कि वह समुचित विचार-विमर्श के बाद एक विस्तृत नोट प्रस्तुत करेगा।
समिति ने 13 फरवरी को मंत्रालय से यह बताने को था कि नयी प्रौद्योगिकी और मीडिया मंचों के उभरने के मद्देनजर विवादास्पद सामग्री पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा कानूनों में क्या संशोधन आवश्यक हैं।
भाषा सिम्मी नेत्रपाल
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