इस्लामाबाद, आठ फरवरी (भाषा) पाकिस्तान में उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने प्रधान न्यायाधीश याह्या अफरीदी को पत्र लिखकर विवादित 26वें संविधान संशोधन पर फैसला आने तक नए न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी करने का आग्रह किया है।
पिछले वर्ष प्रधान न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार को अधिक अधिकार देने के लिए विवादास्पद संशोधन पारित किया गया था।
इस संशोधन को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर, न्यायमूर्ति आयशा मलिक और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह शामिल हैं।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पत्र न्यायिक आयोग के अध्यक्ष को भेजा गया था, जो प्रधान न्यायाधीश के अधीन वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक निकाय है।
उन्होंने हाल में एक उदाहरण का भी उल्लेख किया, जिसमें तीन न्यायाधीशों को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस कारण उन्हें संविधान के अनुसार पुनः शपथ लेनी पड़ी।
न्यायाधीशों ने कहा कि मामले में पहले ही देरी हो चुकी है और मामले की अगली सुनवाई से पहले जल्दबाजी में कोई भी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में तीन न्यायाधीशों के स्थानांतरण से एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया है। इससे न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 15वें स्थान पर होने के बावजूद लाहौर उच्च न्यायालय से स्थानांतरित किए गए न्यायाधीशों में से एक न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हो गए हैं और वह नए प्रधान न्यायाधीश के रूप में विचार किए जाने वाले पहले व्यक्ति हैं।
इस स्थानांतरण से प्रभावित लोगों ने उच्चतम न्यायालय से हस्तक्षेप करने की मांग की है, लेकिन अभी तक स्थिति को सुधारने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
भाषा नेत्रपाल
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