नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कम लागत पर कृत्रिम मेधा (एआई) का विकास करने की भारत की नवाचार क्षमता दर्शाने के लिए बुधवार को बेहद कम लागत पर संचालित ‘चंद्रयान-3’ का जिक्र किया।
दिग्गज एआई कंपनी ओपनएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सैम आल्टमैन के साथ एक पैनल चर्चा में वैष्णव ने चंद्रयान-3 अभियान का हवाला दिया।
वैष्णव ने कहा, ‘‘हमारे युवा उद्यमी, स्टार्टअप, शोधकर्ता वास्तव में नवाचार का वह अगला स्तर हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिससे लागत कम होगी। हमारे देश ने कई अन्य देशों की तुलना में बहुत कम लागत पर चंद्रमा पर यान भेजा।’’
भारत के चंद्रयान-3 अभियान पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई थी जबकि अन्य देशों ने चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यान भेजने पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं।
चैटजीपीटी टूल बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के संस्थापक आल्टमैन ने दो साल पहले कम लागत वाले आधारभूत मॉडल के विकास की भारत की क्षमता पर सवाल उठाए थे। लेकिन अब आल्टमैन का नजरिया बदल गया है और वह भारत को एआई क्रांति में एक संभावित अगुवा के रूप में देखने लगे हैं।
वैष्णव ने कहा कि भारत अब एआई विकास की पूरी पारिस्थितिकी तैयार करने पर काम कर रहा है, जिसमें खुद चिपसेट बनाना, कम लागत पर कंप्यूटिंग सुविधा प्रदान करना और साथ ही डेटा सेट पर काम करना शामिल है।
सरकार भारतीय उद्यमों और स्टार्टअप को 1.6 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे की लागत पर जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) वाले हाई-एंड कंप्यूटर तक पहुंच दे सकती है जो फिलहाल भारतीय फर्मों के लिए छह डॉलर प्रति घंटे से अधिक है।
आल्टमैन ने कहा कि एक बुद्धिमत्ता इकाई की लागत इस साल के अंत तक 10 गुना कम हो जाएगी।
ऑल्टमैन की इस बात पर वैष्णव ने कहा कि लागत कम करने के लिए नवाचार दुनिया में कहीं से भी आ सकता है और भारत की इसमें अहम भूमिका होगी।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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