मुंबई, पांच फरवरी (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बंबई ने बुधवार को बताया कि उसके अनुसंधानकर्ताओं ने एक नयी तकनीक खोजी है जो लोहे पर चढ़ी परत के क्षरण की दर को माप सकती है और यह खोज इस्पात उद्योग के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।
आईआईटी, बंबई ने एक बयान में कहा, ‘‘हाइड्रोजन पारगमन-आधारित पोटेंशियोमेट्री (एचपीपी) और इलेक्ट्रोकेमिकल इम्पीडेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (ईआईएस) के संयोजन से अनुसंधानकर्ताओं ने औद्योगिक रूप से प्रासंगिक धातु पर परत क्षरण दर को कुशलतापूर्वक मापा।
संस्थान ने बताया कि कहा कि धातुओं पर अक्सर सुरक्षात्मक कार्बनिक परत चढायी जाती है, जैसे कारों पर पेंट होती है, लेकिन समय के साथ उनका क्षरण होने लगता है।
बयान के मुताबिक कार्बनिक परत की दक्षता समय के साथ क्षीण होती जाती है, और अंततः धातु को नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि उनमें छिद्र होते हैं जिनसे पानी और ऑक्सीजन को धातु की सतह तक पहुंचने में मदद मिलती है और अंतत: जंग की समस्या पैदा होती है।
बयान के मुताबिक आईआईटी बंबई के अनुसंधानकर्ताओं ने दो विद्युत-रासायनिक तकनीकों, एचपीपी और ईआईएस को संयोजित किया, जिससे धातु और कार्बनिक परत के क्षरण की दर को मापने में मदद मिली।
आईआईटी बंबई के मुताबिक एचपीपी हाइड्रोजन पारगमन का प्रत्यक्ष माप देता है।
आईआईटी बंबई के धातुकर्म इंजीनियरिंग और पदार्थ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर विजयशंकर दंडपाणि ने कहा, ‘‘एचपीपी-ईआईएस का उपयोग यह देखने के लिए किया जा सकता है कि कार्बनिक परत कितनी देर तक लोहे को जंग से बचा सकती है और यह विधि न केवल इस्पात उद्योग के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि ‘फ्यूल सेल’ और सेंसर के क्षेत्र में भी उपयोगी होगी।’’
भाषा धीरज अविनाश
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