नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कांग्रेस पर देश में आजादी के बाद से दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के लोगों के प्रशासनिक सेवा में आने में रोड़ा बनने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने देश में सामाजिक न्याय के लिए अनेक काम किए हैं।
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अनुप्रिया ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि विपक्ष के लोग मोदी सरकार में भारत के प्रगति की ओर बढ़ते कदमों को नहीं देखना चाहते, लेकिन देश की 140 करोड़ जनता इसे देख रही है।
उन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के सोमवार को सदन में दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस और आजादी के बाद कई दशकों तक रही उसकी सरकारों की नीतियों की वजह से सर्वोच्च पदों पर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोग नहीं पहुंच पाए।
राहुल गांधी ने पिछले साल बजट की ‘हलवा सेरेमनी’ के एक फोटो का जिक्र करते हुए अपना यह दावा दोहराया था कि इसमें दलित और ओबीसी वर्ग के एक भी अधिकारी की तस्वीर नहीं है।
अनुप्रिया पटेल ने कहा, ‘‘इन तस्वीरों में से वंचित और दलित वर्ग के लोग 2014 के बाद से गायब नहीं हैं, बल्कि आजादी के समय से ही नदारद हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह की तस्वीरों में दलितों और आदिवासियों के आने का मतलब है कि इस वर्ग के लोग आईएएस अधिकारी बनें, लेकिन इन वंचित वर्गों के प्रशासनिक अधिकारी बनने में सबसे बड़ा रोड़ा कांग्रेस बनी जिसने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं होने दिया।
उन्होंने कहा कि आज देश की राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय से हैं, प्रधानमंत्री ओबीसी वर्ग के हैं और सीएजी के प्रमुख भी आदिवासी हैं।
अनुप्रिया ने कहा, ‘‘क्या (राजग से) पहले की सरकारों में इन सर्वोच्च पदों पर वंचित वर्ग के लोग आसीन हो पाए और नहीं हो सके तो इसका जिम्मेदार कौन है?’’
उन्होंने कहा कि 1952 से लेकर आज तक देश का सारा आंकड़ा सामने आना चाहिए कि पिछड़े और वंचित वर्गों को सर्वोच्च पदों पर कब और कितनी हिस्सेदारी मिली।
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के 75 वर्ष बाद भी बहुसंख्यक पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने का सवाल आज भी उठ रहा है इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?’’
उन्होंने उद्योग घरानों और मीडिया संस्थानों में नेतृत्व करने वालों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के कम प्रतिनिधित्व के दावों से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि आजादी के बाद लगातार कई वर्षों तक दलित, पिछड़े और आदिवासी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगे रहे। इस उलझन में कोई क्या उद्योग लगाएगा। उद्योग लगाने के लिए विशाल अर्थतंत्र की जरूरत होती है।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आज इन वंचित समूहों की बुनियादी जरूरतों की चिंता कर रही है और जब इस वर्ग को इन चिंताओं से मुक्ति मिलेगी तो वे तरक्की की ओर बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की तमाम गरीब हितैषी येजनाओं के आंकड़े विपक्ष को उबाऊ लगते हैं, लेकिन जमीन पर उनसे बदलाव आ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि मीडिया संस्थानों में विविधतापूर्ण प्रतिनिधित्व की यदि कमी है तो इसकी चिंता मोदी सरकार को नहीं करनी, बल्कि स्वयं मीडिया संस्थानों को करनी है।
अनुप्रिया पटेल ने जातीय जनगणना की विपक्ष की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष के लोग बार-बार सामाजिक न्याय का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन केंद्र और राज्यों में अपनी सरकारों के समय उन्होंने यह कवायद क्यों नहीं की।
उन्होंने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और केंद्र में उनके समर्थन वाली कांग्रेस नीत सरकार थी तब जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई गई।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने सहित कई काम किए हैं और विपक्ष ने सामाजिक न्याय की दिशा में कोई भी महत्वपूर्ण कदम उठाया हो तो वह बताए।
उन्होंने दावा किया कि नौकरियों में बैकलॉग के आंकड़े भी कांग्रेस की सरकारों के समय से चले आ रहे हैं।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आपने बैकलॉग भरने के लिए कोई प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाया। हमारी सरकार ने ‘मिशन रिक्रूटमेंट’ चलाया और नौकरियों में बैकलॉग को कम करने की कोशिश की। हमने दस लाख पक्की सरकारी नौकरी नौजवानों को दी हैं।’’
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के उत्पादन, बैटरियों के स्वदेशी उत्पादन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘विपक्ष के लोग भारत के प्रगति की ओर बढ़ते कदम को देखना नहीं चाहते, लेकिन देश की 140 करोड़ जनता इसे देख रही है।’’
भाषा
वैभव माधव
माधव