राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों को राहत देने के लिए एक समान टोल नीति पर काम जारी: गडकरी |

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(विजय कुमार सिंह)


नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों को राहत देने के लिए एक समान टोल नीति पर काम कर रहा है।

गडकरी ने यह भी कहा कि अब भारत का राजमार्ग बुनियादी ढांचा अमेरिका के बराबर है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम एक समान टोल नीति पर काम कर रहे हैं। इससे यात्रियों को होने वाली समस्याओं का समाधान होगा।’’

गडकरी अधिक टोल शुल्क और खराब सड़क की शिकायतों के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वालों के बीच बढ़ते असंतोष पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक बाधा रहित वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) आधारित टोल संग्रह प्रणाली को लागू करने का फैसला किया है।

गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सोशल मीडिया पर यात्रियों की शिकायतों को बहुत गंभीरता से ले रहा है और इसमें शामिल ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है।

इस समय राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल यातायात में निजी कारों की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत हैं, जबकि इन वाहनों का टोल राजस्व संग्रह में हिस्सा मुश्किल से 20-26 प्रतिशत है।

पिछले 10 साल में अधिक से अधिक खंडों पर टोल संग्रह शुरू होने से टोल शुल्क बढ़ा है, जिससे अक्सर यात्रियों में असंतोष बढ़ता है।

भारत में कुल टोल संग्रह 2023-24 में 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2019-20 में संग्रह 27,503 करोड़ रुपये था।

गडकरी ने भरोसा जताया कि राजमार्ग मंत्रालय 2020-21 में प्रतिदिन 37 किलोमीटर राजमार्ग निर्माण के पिछले रिकॉर्ड को चालू वित्त वर्ष में पार कर जाएगा। चालू वित्त वर्ष में अबतक करीब 7,000 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हो चुका है।

भारतमाला परियोजना की जगह लेने के लिए नयी योजना के अभाव में राजमार्ग परियोजनाएं आवंटित करने की गति काफी धीमी हो गई है।

गडकरी के अनुसार, पहले भारतमाला परियोजना के तहत मंत्रालय के पास 3,000 करोड़ रुपये तक की राजमार्ग परियोजनाएं आवंटित करने का अधिकार था, लेकिन अब मंत्रालय भारतमाला परियोजना के तहत किसी भी नई परियोजना को मंजूरी नहीं दे सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘1,000 करोड़ रुपये से अधिक की किसी भी परियोजना के लिए अब हमें मंत्रिमंडल की मंजूरी लेनी होगी। हमने 50-60 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा है।’’

उन्होंने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद इन परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय



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