अनुसंधान, एआई, भू-स्थानिक पहलों के लिए 20,00 करोड़ रुपये, लेकिन भारत को अधिक की जरूरत:उद्योग |

Ankit
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नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि अनुसंधान को बढ़ावा देने, एआई (कृत्रिम मेधा) एवं भू-स्थानिक पहलों के विस्तार तथा ‘अटल टिंकरिंग लैब’ स्थापित करने का काम तेजी से आगे बढ़ाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन देश के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) परिवेश को मजबूत करने के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदमों में शामिल हैं, लेकिन देश को और अधिक करने की जरूरत है।


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजी क्षेत्र द्वारा संचालित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

सीतारमण ने कहा कि युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए अगले पांच वर्ष में 50,000 ‘अटल टिंकरिंग लैब’ स्थापित किए जाएंगे।

वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क के प्रबंध निदेशक शिरशेंदु मुखर्जी ने कहा कि 2025 का केंद्रीय बजट भारत के अनुसंधान एवं विकास परिवेश को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ निजी व सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन, कृत्रिम मेधा (एआई) और भू-स्थानिक पहलों का विस्तार और ‘अटल टिंकरिंग लैब’ के लिए प्रोत्साहन नवाचार आधारित विकास को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कम उम्र से ही रचनात्मकता को बढ़ावा देने और गहन प्रौद्योगिकी अनुसंधान को आगे बढ़ाने से ये निवेश एआई एवं डिजिटल बदलाव को गति देंगे और भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेंगे।’’

वाधवानी फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय केला ने कहा, ‘‘ कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना और एआई-संचालित शिक्षा में 500 करोड़ रुपये के निवेश से भविष्य के लिए कार्यबल की तैयारी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।’’

अक्षय व हरित ऊर्जा कंपनी एसएईएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी दुष्यंत चाचरा ने कहा कि यह आवंटन महत्वपूर्ण है, लेकिन इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति के लिए एक अधिक व्यापक और निरंतर रणनीति आवश्यक है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना ​​है कि सरकार निकट भविष्य में अनुसंधान एवं विकास निधि में अतिरिक्त आवंटन, विनियामक मंजूरी को न्यूनतम करने तथा निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कर छूट प्रदान करने जैसे कदमों पर विचार कर सकती है।’’

चेन्नई स्थित ‘ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के प्रोफेसर और प्रत्यायन निदेशक विश्वनाथन अय्यर ने कहा कि निजी क्षेत्र के अनुसंधान के लिए गहन कर प्रोत्साहन की गुंजाइश है।

‘एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी’ के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के ‘एमेरिटस साइंटिस्ट और मैटेरियल साइंस’ के निदेशक भरत काले के अनुसार, देश को अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है।

भाषा निहारिका सिम्मी

सिम्मी



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