दुबई/बेंगलुरु, 2 फरवरी (भाषा) महान क्रिकेटर एमएस धोनी ने 2011 में भारत की विश्व कप जीत सुनिश्चित करने के लिए जब छक्का लगाया था तब गोंगडी त्रिशा अपने पिता की गोद में बैठकर मैच देख रही थी। यह उनकी क्रिकेट की सबसे पहली स्मृति है।
लेकिन अब 14 साल बाद 19 वर्षीय खिलाड़ी के पास अपने आदर्श की तरह ही दो विश्व कप जीत हैं। भारत ने रविवार को कुआलालंपुर में दक्षिण अफ्रीका को नौ विकेट से हराकर आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप जीता।
वह 2023 में शुरुआती चरण में भारत की खिताबी जीत का भी हिस्सा थीं। लेकिन इस बार त्रिशा का प्रदर्शन और भी ज्यादा प्रभावशाली रहा। उन्होंने 77.25 की औसत से एक शतक के साथ 309 रन बनाए और इसके लिए उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ का पुरस्कार भी मिला।
टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी होने के अलावा त्रिशा ने अपनी बेहतरीन लेग स्पिन से सात विकेट भी चटकाए।
त्रिशा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से कहा, ‘‘यह मेरे लिए सबकुछ है। मेरे पास बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं इसे अपने पिता (जी रामी रेड्डी) को समर्पित करना चाहूंगी क्योंकि वे यहीं पर हैं। मुझे नहीं लगता कि मैं उनके बिना यहां होती। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने देश के लिए खेलना चाहती हूं और ज्यादा से ज्यादा मैच जीतना चाहती हूं। यह अंडर-19 विश्व कप फिर से जीतना शानदार है। ’’
त्रिशा ने टूर्नामेंट में कई रिकॉर्ड भी बनाए, उन्होंने अंडर-19 महिला विश्व कप के इतिहास में पहला शतक जड़ा, इस टूर्नामेंट का दूसरा सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी औसत, सबसे अधिक चौके और टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा छक्के जमाये।
सेंट जोंस कोचिंग फाउंडेशन में उनके कोच पी श्रीनिवास के लिए यह सिर्फ शुरुआत थी।
श्रीनिवास ने कहा, ‘‘वह निर्भीक होकर खेलती है, सभी तरह के शॉट खेलती है। हमने यहां सिर्फ एक बदलाव किया है, वह है उसे तेज गेंदबाजी से लेग स्पिन करवाना। ’’
सेंट जोंस से वीवीएस लक्ष्मण और मिताली राज जैसे महान खिलाड़ी निकले हैं।
श्रीनिवास को पूरा भरोसा है कि त्रिशा में भी इनकी तरह ऊंचाइयां छूने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, ‘‘वह अभी सिर्फ 19 साल की है और उसमें बहुत क्रिकेट है। मुझे यकीन है कि वह देश के लिए कई ट्राफी लाएगी।’’
त्रिशा को शायद थोड़ी निराशा हुई होगी जब पिछले साल महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) की नीलामी में उन्हें कोई नहीं खरीद पाया था। लेकिन अब उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई है और दिल में उम्मीदें हैं।
भाषा नमिता आनन्द
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