अरुणाचल के ‘आलो के दूधवाले’ की प्रेरक कहानी; 12,000 रुपये की नौकरी छोड़कर शुरू किया सफर |

Ankit
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(उत्पल बरुआ)


ईटानगर, दो फरवरी (भाषा) अपनी कम वेतन वाली नौकरी से निराश होकर सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा रखने वाले डोपे पाडू ने डेयरी फार्म स्थापित करके अपने उद्यमशीलता के सपने को पूरा करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया।

आज, उनके उद्यम ‘गोयम डेयरी फार्म’ ने उन्हें अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में घर-घर में चर्चित कर दिया है।

डार्का गांव के रहने वाले 32 वर्षीय पाडू ने अरुणाचल प्रदेश पुलिस हाउसिंग एंड वेलफेयर कॉरपोरेशन में साइट इंजीनियर के तौर पर अपनी नौकरी छोड़ दी।

इस नौकरी में उन्हें 12,000 रुपये प्रति महीने मिलते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें पूरे राज्य में काफी यात्रा करनी पड़ती थी।

पाडू ने कहा, “जीवन सुरक्षित नहीं था और मेरी नौकरी में बहुत यात्राएं शामिल थीं। मुझे तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग, तेजू और अनिनी जैसी जगहों पर जाना पड़ता था। विभाग यात्रा खर्च नहीं देता था और कोई यात्रा या महंगाई भत्ता नहीं था। मैं महीने के अंत में 1,000 रुपये भी नहीं बचा पाता था।”

वित्तीय बाधाओं और स्थिरता की कमी से निराश होकर उन्होंने विश्वास की छलांग लगाने का फैसला किया।

उन्होंने कहा, “चूंकि मेरा जीवन वहीं रुका हुआ था, इसलिए मैंने डेयरी व्यवसाय में उतरने का फैसला किया।”

अपने बड़े भाई से वित्तीय मदद लेकर पाडू ने दिसंबर, 2021 में अपनी यात्रा शुरू की। उनका शुरुआती निवेश गायों की खरीद और शेड बनाने में चला गया। आज, उनके फार्म में जर्सी, एचसीएफ और साहीवाल सहित विभिन्न नस्लों की 30 गायें हैं, जिन्हें हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों से मंगाया गया है।

पाडू कहते हैं, “मैं उन्हें डेयरी राशन, मवेशी चारा बोबिनो और चापोर खिलाता हूं, जो मैं असम के सिलापाथर, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया से खरीदता हूं।”

अपने खेत का प्रबंधन करने के लिए, पाडू ने एक डिलिवरी बॉय सहित सात मजदूरों को काम पर रखा है। ‘आलो के दूधवाले’ के नाम से मशहूर पाडू सुबह के समय पूरे आलो कस्बे में और दोपहर के समय रामकृष्ण मिशन स्कूल, काबू, सिपु पुई और दारका गांवों में दूध पहुंचाते हैं।

अधिकतम उत्पादन के समय, उनके फार्म में प्रतिदिन 100 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है। हालांकि, उनकी कई गायों के बछड़े होने के कारण वर्तमान उत्पादन घटकर 60-70 लीटर प्रतिदिन रह गया है।

पाडू की सफलता उनकी मासिक आय तीन लाख रुपये से अधिक से स्पष्ट है, जिसमें दूध की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर है। मवेशियों के चारे पर एक लाख रुपये खर्च करने और अपने कर्मचारियों को वेतन देने के बाद, वह हर महीने लगभग एक लाख रुपये बचाते हैं।

दूध के अलावा, वह 1,000 रुपये प्रति किलो पनीर और 200 रुपये प्रति किलो दही बेचते हैं।

पाडू ने कहा, “आलो में डेयरी के लिए बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि यहां वस्तुतः कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।”

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में दूध की अधिकांश आपूर्ति गैर-स्थानीय लोगों से होती है जो छोटे क्षेत्रों या कॉलोनियों में दूध की आपूर्ति करते हैं।

अपनी आय में विविधता लाने के लिए, उन्होंने अपने खेत के पास तीन मछली तालाब भी बनाए हैं।

पाडू ने कहा, “मैं सभी प्रकार की मछलियां पालता हूं, और उन्हें गोबर खिलाया जाता है।”

अपनी उपलब्धियों के बावजूद पाडू ने पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग से समर्थन की कमी पर निराशा व्यक्त की।

भाषा अनुराग अजय

अजय



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