दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना में औद्योगिक अपशिष्ट छोड़े जाने के बारे में जानकारी मांगी |

Ankit
3 Min Read


नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीएसआईडीसी से यमुना में छोड़े जाने वाले अशोधित जल संबंधी प्रतिबंधों के बारे में जानकारी मांगी है और यह भी बताने को कहा है कि क्या सभी उद्योग इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।


न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईडीसी) को एक हलफनामा दाखिल कर उसके द्वारा स्थापित और निगरानी में रखे गए किसी भी सामान्य अपशिष्ट शोधन संयंत्र (सीईटीपी) का ब्योरा देने का निर्देश दिया तथा यह भी बताने को कहा कि क्या और इकाइयों की आवश्यकता है।

अदालत राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी और उसने घरेलू और आवासीय क्षेत्रों के लिए 37 सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) की स्थिति पर गौर किया तथा कहा कि ऐसे 11 संयंत्रों में ‘फ्लो मीटर’ लगाने में देरी से ‘‘असंतोषजनक स्थिति’’ उजागर होती है।

अदालत ने डीजेबी के संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से मना कर दिया, क्योंकि उन्होंने आश्वासन दिया था कि एक महीने के भीतर ‘फ्लो मीटर’ लगा दिए जाएंगे।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो वह अपने निर्देशों का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवमानना ​​समेत सख्त कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।

‘फ्लो मीटर’ एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग तरल पदार्थ के आयतन या द्रव्यमान को मापने के लिए किया जाता है।

अदालत ने 28 जनवरी को पारित आदेश में कहा, ‘‘एसटीपी के मुद्दे की निगरानी की जा रही है और अप्रैल 2024 से इस न्यायालय द्वारा इसका निपटारा किया जा रहा है। किसी भी स्थिति में 12 नवंबर, 2024 के बाद से ‘फ्लो मीटर’ लगाने के लिए डीजेबी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘जब भूपेश कुमार से पूछा गया कि निविदाएं टुकड़ों में क्यों आमंत्रित की जा रही हैं, तो उन्होंने कहा कि 22 एसटीपी के लिए, ‘फ्लो मीटर’ निर्माण परियोजना के तहत लगभग चार से पांच साल पहले ही स्थापित किए गए थे।’’

आदेश में कहा गया है, ‘‘इससे अदालत को यह स्पष्ट रूप से आभास होता है कि डीजेबी ने इस अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया है और आज तक केवल अनुमान तैयार किए जा रहे हैं, यही जवाब भूपेश कुमार ने अदालत को दिया है। यह स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’’

मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।

भाषा

देवेंद्र संतोष

संतोष



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *