ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विनियामक,अनुपालन दायित्व पर गौर करने की जरूरतः समीक्षा |

Ankit
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नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में ई-कॉमर्स के माध्यम से देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विनियामक और अनुपालन दायित्वों से जुड़े मुद्दों पर गौर करने का आह्वान किया गया।


इसमें कहा गया, भारत के ई-कॉमर्स निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में प्रमुख योगदानकर्ता बनने की अपार संभावनाएं हैं।

समीक्षा के अनुसार, भारत में ई-कॉमर्स निर्यात परिवेश वृद्धि के अवसर प्रदान करने साथ-साथ नियामकीय ढांचे और अनुपालन दायित्वों से संबंधित कुछ चुनौतियां भी पेश करता है।

मिसाल के तौर पर समीक्षा में कहा गया कि विक्रेताओं और ई-कॉमर्स मंच संचालकों की भूमिकाएं अभी तक स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं।

समीक्षा में कहा गया, इसके लिए निर्यात और भुगतान प्रक्रियाओं के विभिन्न चरणों में विक्रेताओं तथा ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।

इसमें कहा गया, डेटा संपर्क का विस्तार, स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच, डिजिटल वॉलेट और सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान की उपलब्धता व उपयोग में वृद्धि, ग्राहकों की आय के स्तर में वृद्धि और डिजिटल खरीदारी मंच के साथ बढ़ती परिचितता ने भारत के ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा दिया है।

समीक्षा के अनुसार, वैश्विक बी2सी (बिजनेस-टू-कंज्यूमर) ई-कॉमर्स बाजार के 2022 के 5,700 अरब डॉलर से बढ़कर 2026 तक 8,100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारत का बी2सी ई-कॉमर्स बाजार 2022 में 83 अरब डॉलर का था और इसके 2026 तक 150 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जो 15.9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्शाता है।

हालांकि, मौजूदा बाजार आकार के हिसाब से भारत का ई-कॉमर्स बाजार वैश्विक बाजार का एक छोटा हिस्सा यानी करीब 1.5 प्रतिशत है और आने वाले वर्षों में इसके करीब दो प्रतिशत रहने का अनुमान है।

समीक्षा में कहा गया, सरकार की ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) पहल का उद्देश्य देश के सीमा पार ई-कॉमर्स उद्योग में क्रांति लाना है।

भाषा अनुराग निहारिका

निहारिका



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