अमेरिका व चीन के बीच घटी घटनाओं पर आधारित होगा 21वीं सदी का इतिहास : रूबियो |

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(ललित के झा)


वाशिंगटन, 31 जनवरी (भाषा) चीन को अमेरिका के लिए एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा बताते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा है कि 21वीं सदी का इतिहास मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच घटित घटनाओं पर आधारित होगा।

रूबियो ने बृहस्पतिवार को मेगन केली शो में मेगन केली को दिए साक्षात्कार में कहा, “चीन दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनना चाहता है और वे ऐसा हमारी कीमत पर करना चाहते हैं। यह हमारे राष्ट्रीय हित में नहीं है और हम इस पर ध्यान देने जा रहे हैं। हम इस पर युद्ध नहीं चाहते हैं, लेकिन हम इस पर गौर करने जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “चीन के मामले में दो बातें हैं…एक तो वे हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं; और दूसरी यह परिपक्व अहसास है कि चाहे कुछ भी हो जाए, चीन एक समृद्ध और शक्तिशाली देश बनने जा रहा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका को इससे निपटना होगा।

उन्होंने कहा, “21वीं सदी का इतिहास मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के बीच हुई घटनाओं पर आधारित होगा। इसलिए हमारा यह दिखावा करना कि हम किसी भी तरह से उनके साथ बातचीत नहीं करने जा रहे हैं, बेतुका है।”

रुबियो ने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया तथा अमेरिका की दशकों पुरानी नीतियों की आलोचना की, जिसके तहत चीन को एक विकासशील देश माना गया तथा यह मानकर उसे अनुचित व्यापार और प्रौद्योगिकी प्रथाओं का फायदा उठाने दिया गया कि वह अमेरिकी मूल्यों को अपना लेगा।

इसके बजाय, उन्होंने कहा, चीन बिना किसी बदलाव के समृद्ध होता गया और अब भी इन लाभों की तलाश कर रहा है। विदेश मंत्री बनने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में रूबियो ने कहा, “इसे रोकना होगा”।

उन्होंने कहा कि विश्व के बारे में चीन की धारणा यह है कि 2035 या 2050 तक वे अनिवार्यतः विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बन जायेंगे।

उन्होंने कहा कि चीन एक बड़ी अर्थव्यवस्था वाली महान शक्ति है और वह वैश्विक शक्ति बनेगा, लेकिन यह अमेरिका की कीमत पर नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, “अंततः जब आप चीन जैसी महान शक्तियों के साथ काम कर रहे हैं, तो यह उनके राष्ट्रपति और हमारे राष्ट्रपति के उच्चतम स्तर पर होगा।”

एक प्रश्न के उत्तर में रूबियो ने कहा कि अमेरिका चीन को पनामा नहर पर नियंत्रण नहीं करने देगा। उन्होंने कहा, “हम किसी भी विदेशी ताकत – खासकर चीन – को इस तरह का संभावित नियंत्रण रखने की अनुमति नहीं दे सकते, जैसा कि वे कर रहे हैं। ऐसा जारी नहीं रह सकता।”

भाषा प्रशांत यासिर

प्रशांत



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