उच्च न्यायालयों को लंबित मामलों के निस्तारण के लिए अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने की अनुमति मिली |

Ankit
3 Min Read


नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्ययालय ने 18 लाख से अधिक आपराधिक मामलों के लंबित रहने पर गौर करते हुए बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालयों को अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुमति दे दी, जो अदालत की कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।


प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष पीठ ने उच्च न्यायालयों में अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा 20 अप्रैल 2021 को दिए गए फैसले में लगाई गई कुछ शर्तों में ढील दी।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे द्वारा लिखे गए फैसले में निर्देश दिया गया था कि लंबित मामलों के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को दो से तीन साल की अवधि के लिए अस्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।

एक शर्त में कहा गया था कि यदि उच्च न्यायालय अपनी स्वीकृत संख्या के 80 प्रतिशत के साथ काम करता है तो अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा सकती, जबकि दूसरी शर्त में कहा गया था कि अस्थायी न्यायाधीश मामलों के निस्तारण के लिए अलग से पीठ में बैठ सकते हैं।

शर्तों में ढील देते हुए, सीजेआई खन्ना ने कहा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय को दो से पांच अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी चाहिए तथा यह संख्या कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘अस्थायी न्यायाधीश उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में बैठेंगे तथा लंबित आपराधिक अपीलों पर निर्णय लेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने न्यायाधीशों के लिए अलग से पीठों में बैठने की शर्त को भी स्थगित रखा और कहा कि वे उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का हिस्सा होंगे।

न्यायालय ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस मुद्दे पर आगे निर्देश जारी करने के लिए फिर से बैठेगा।

राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में 62 लाख से अधिक मामले लंबित हैं और उनमें से 18 लाख से अधिक आपराधिक प्रकृति के हैं।

शीर्ष अदालत ने नियुक्तियों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश भी निर्धारित किए हैं।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *