अर्जेन्टीना में डीगम का निर्यात शुल्क घटाने, सरसों की नयी फसल आने से तेल-तिलहन में गिरावट |

Ankit
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नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) अर्जेन्टीना में सोयाबीन डीगम तेल का निर्यात शुल्क घटाने तथा फरवरी मध्य में सरसों की नयी फसल की आवक शुरु होने के बीच कारोबारी धारणा प्रभावित रहने से बीते सप्ताह अधिकांश खाद्य तेल-तिलहनों के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।


खल नहीं बिकने के बीच पेराई मिलों के कम चलने के कारण मूंगफली तेल और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अर्जेन्टीना ने अपने किसानों के फायदे और निर्यात बढ़ाने के लिए अपने निर्यात शुल्क घटाया है, जिससे सोयाबीन डीगम तेल का दाम पहले के 1,135 डॉलर प्रति टन से घटाकर 1,105-1,110 डॉलर प्रति टन रह गया है।

इसके अलावा सरसों की नयी फसल की फरवरी मध्य में आवक शुरु होने की संभावनाओं के बीच अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम दवाब में आ गये और उनके थोक दाम में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि सरसों की नयी फसल आने की सुगबुगाहट के बीच पेराई मिलें स्टॉक करने के बजाय जरुरत भर का माल खरीद रही हैं। नयी फसल के आने से पहले समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तेल-तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि वैसे तो अधिकांश खाद्यतेलों के थोक दाम टूट गये हैं, मगर सरकार को देखना चाहिये कि इन्हीं खाद्यतेलों के खुदरा दाम में कमी क्यों नहीं आ रही? सरकार को खाद्यतेल कीमतों में कमी के लिए जरूरी उपाय करना चाहिये।

अर्जेन्टीना द्वारा सोयाबीन डीगम तेल का निर्यात शुल्क घटाने के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए। वैसे सरकार को सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सूरजमुखी आदि तिलहनों की ओर विशेष ध्यान देना होगा और उनका बाजार बनाना होगा, क्योंकि आत्मनिर्भरता के लिए इन तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना बेहद अनिवार्य है।

सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव पर पाम-पामोलीन तेल के लिवाल नहीं हैं। इन तेलों का भाव फिर से सोयाबीन तेल से अधिक हो गया है। सोयाबीन तेल का दाम 1,105-1,110 डॉलर प्रति टन है तो सीपीओ का दाम 1,135-1,140 डॉलर प्रति टन है। ऊंचे दाम पर नहीं खपने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में पाम एवं पामोलीन तेल कीमतें भी गिरावट के साथ बंद हुई।

उन्होंने कहा कि पिछले साल जनवरी में मूंगफली खल का भाव 3,500 रुपये क्विंटल था जो नकली बिनौला खल के कारण इस बार घटकर 2,350-2,400 डॉलर प्रति टन रह गया है। इस भाव पर इसके लिवाल नहीं हैं। खल का दाम टूटने के बीच कमजोर पेराई के कारण पेराई मिलें मूंगफली की कम खरीद कर रही हैं जिससे समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन कीमत हानि के साथ बंद हुई।

दूसरी ओर पेराई मिलें कम चलने और खल नहीं बिकने के कारण मूंगफली तेल तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात की ओर ध्यान देना चाहिये कि उसके तमाम आश्वासनों के बावजूद कपास का उत्पादन साल दर साल घट क्यों रहा है? जब तक बाजार नहीं बनेगा, तब तक सरकारी खरीद भी काम नहीं आयेगी। सरकार की ओर से जो भी संस्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास खरीद रही हैं, उन्हें कपास से निकलने वाले बिनौला सीड को लागत दाम के हिसाब से बेचना चाहिये नहीं तो इसका दाम टूटने से पूरी की पूरी कारोबारी धारणा प्रभावित होगी।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 275 रुपये गिरावट के साथ 6,225-6,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 400 रुपये की गिरावट के साथ 13,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 50-50 रुपये के हानि के साथ क्रमश: 2,250-2,350 रुपये और 2,250-2,375 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 100-100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,275-4,325 रुपये और 3,975-4,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी तरह, सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 200 रुपये, 225 रुपये और 225 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 13,250 रुपये, 13,050 रुपये और 9,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन का भाव 225 रुपये की गिरावट के साथ 5,675-6,000 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 100 रुपये और 15 रुपये सुधार के साथ 14,100 रुपये और 2,140-2,440 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 350 रुपये टूटकर 12,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये टूटकर 13,800 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 300 रुपये टूटकर 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 100 रुपये की तेजी के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

भाषा राजेश पाण्डेय

पाण्डेय



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