गरियाबंद मुठभेड़ में मारे गए 12 नक्सलियों की पहचान हुई |

Ankit
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गरियाबंद, 23 जनवरी (भाषा) छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मुठभेड़ में मारे गए 16 माओवादियों में से 12 नक्सलियों की पहचान कर ली गई है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।


पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिन नक्सलियों की पहचान की गई है उनमें माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य चलपति उर्फ जयराम समेत कुल तीन करोड़ रुपये के इनामी नक्सली शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा में केंद्र और राज्य के संयुक्त सुरक्षाबलों ने सोमवार से बुधवार तक 72 घंटे तक चले अभियान में 16 नक्सलियों को मार गिराया।

पुलिस के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने अभियान के दौरान सोमवार को दो नक्सलियों का तथा मंगलवार को 12 नक्सलियों का शव बरामद किया था। वहीं, बुधवार को दो अन्य नक्सलियों का शव बरामद किया गया।

उन्होंने बताया कि इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में से 12 की पहचान कर ली गई है जिनमें माओवादियों की केंद्रीय समिति सदस्य का चलपति उर्फ जयराम भी शामिल है।

अधिकारियों के मुताबिक, जयराम के सर पर छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपये, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 25-25 लाख रुपये का इनाम था। इस तरह उसपर कुल कुल 90 लाख रुपये का इनाम था। जयराम आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले का निवासी था। उसके परिवार को शव सौंपा जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ में 65 लाख रुपये के इनामी ओडिशा राज्य समिति के सदस्य जयराम उर्फ गुड्डू (50), 65 लाख रुपये के इनामी धमतरी—गरियाबंद—नुआपाड़ा डिवीजन के प्रमुख सत्यम गावड़े उर्फ सुरेंदर को भी मार गिराया है।

उन्होंने बताया कि गुड्डू छत्तीसगढ़ के सुकमा और सत्यम कांकेर जिले के निवासी थे।

अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में 18 लाख रुपये के इनामी डिविजनल कमेटी सदस्य आलोक उर्फ मुन्ना, 13-13 लाख रुपये के इनामी एरिया कमेटी सदस्य शंकर, कलमू देवे, मंजू (महिला), रिंकी (महिला) और 14 लाख रुपये के इनामी कंपनी नंबर एक का सदस्य मन्नू शामिल है।

उन्होंने बताया कि इस मुठभेड़ में तीन-तीन लाख रुपये के इनामी सुखराम (चलपति का गार्ड), रामे ओयाम (महिला) और जैनी उर्फ मासे भी मारे गए हैं।

रायपुर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमरेश मिश्रा ने बताया कि अन्य नक्सलियों की पहचान कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है किसी मुठभेड़ में माओवादियों का केंद्रीय समिति सदस्य मारा गया है। वहीं यह पहली बार है जब बड़े कैडर के नक्सलियों को एक अभियान में मार गिराया गया है।

मिश्रा ने कहा कि इस मुठभेड़ ने छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर नक्सलियों को बैकफुट पर ला दिया है तथा इससे राज्य के धमतरी, गरियाबंद जैसे जिलों में उनकी गतिविधियों पर असर होगा।

उन्होंने कहा कि यह मुठभेड़ मार्च 2026 तक देश से नक्सली समस्या के खात्मे के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 19 जनवरी की रात को धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा डिवीजन के तहत दो क्षेत्रीय समितियों से संबंधित माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान शुरू किया गया था।

यह क्षेत्र समितियां ओडिशा के नुआपाड़ा जिले की सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट-भालुडिग्गी के जंगल में माओवादियों की ओडिशा राज्य समिति के भीतर काम करती है।

उन्होंने बताया कि इस अभियान में गरियाबंद जिले की पुलिस इकाई ई-30, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इसकी विशिष्ट इकाई कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन) और ओडिशा पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवान शामिल थे।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को अभियान के दौरान दो महिला नक्सली मारी गईं, जबकि सोमवार देर रात फिर से गोलीबारी हुई जो मंगलवार तड़के तक जारी रही, जिसमें 12 और नक्सली मारे गए। बुधवार को दो अन्य नक्सलियों का शव बरामद किया गया।

उन्होंने बताया कि इलाके में पिछले 72 घंटों तक अभियान चला।

इस मुठभेड़ के साथ ही इस साल छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 42 नक्सली मारे जा चुके हैं।

सोलह जनवरी को बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया था। बाद में माओवादियों ने एक बयान में स्वीकार किया कि 16 जनवरी की मुठभेड़ में 18 नक्सली मारे गए थे।

पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों ने 219 नक्सलियों को मार गिराया था।

भाषा सं संजीव नोमान

नोमान



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