मुंबई, 21 जनवरी (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मंगलवार को कहा कि कुछ कंपनियों को आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये जुटाई गई राशि के ‘घोर दुरुपयोग’ में लिप्त पाए जाने के बाद निवेश बैंकरों से ऐसी कंपनियों को पूंजी बाजार तक पहुंच देने से परहेज करने को कहा गया है।
बुच ने कहा कि ‘एजेंट कृत्रिम मेधा’ शब्दावली के ईजाद से पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) आईपीओ दस्तावेजों का त्वरित प्रसंस्करण करने के लिए उस अवधारणा पर आधारित एक टूल पर काम कर रहा था।
बुच ने भारतीय निवेश बैंकर संघ (एआईबीआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि निवेश बैंकरों को बखूबी पता होता है कि वे कब किसी ‘पंप एंड डंप’ कंपनी को बाजार में ला रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘आपको (निवेश बैंकरों को) खराब कंपनी को बाजार में नहीं लाना चाहिए।’
बुच ने कहा कि बैंकर को दी जाने वाली ऊंची फीस, या कंपनी में कम या बिल्कुल भी कर्मचारी न होना या बैंकरों का कंपनी की इकाइयों का दौरा न करना जैसे संकेत हैं जो निर्गम के पीछे की मंशा और इसे ‘पंप एंड डंप’ निर्गम होने के बारे में इशारा करते हैं।
उन्होंने एसएमई बोर्ड के संदर्भ में कहा कि ‘पंप एंड डंप’ निर्गम के मामले में आईपीओ में उच्च भागीदारी होने से शेयर के भाव बढ़ जाते हैं और प्रवर्तक आमतौर पर जल्द पैसा कमाने के लिए शेयर बेच देते हैं।
इसके साथ ही बाजार नियामक प्रमुख ने कहा कि सेबी ने कुछ कंपनियों द्वारा आईपीओ से जुटाई गई राशि का ‘घोर दुरुपयोग’ भी पाया है। उन्होंने बताया कि कई बार विदेशी बाजारों में इस कोष को भेज दिया जाता है और उसके लिए सॉफ्टवेयर या ऐप जैसी अमूर्त वस्तुओं के अधिग्रहण या खरीद का दिखावा किया जाता है।
बुच ने सेबी की भूमिका की तुलना अस्पताल के डॉक्टर से करते हुए कहा कि नियामक ने कंपनियों के कई गलत काम देखे हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार इस तरह परिपक्व हो गए हैं कि अब कानून का पालन ‘शब्दों में’ होने लगा है, लेकिन इसका पालन भावना में भी किया जाना चाहिए।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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